आज यानि 8 मार्च को विश्वभर में महिला दिवस मनाया जा रहा है। महिलाओं को समर्पित इस दिन को मनाने के लिए हर साल इस खास थीम रखी जाती है। इस बार इस दिन को सेलिब्रेट करने के लिए 'लैंगिक समानता यानि की लड़की- लड़के में कोई भेद ना हो' थीम रखी गई है। मगर समाज में आज भी लड़के और लड़की के बीच भेदभाव किया जाता है। सुनने में शायद आपको हैरानी होगी। मगर कही ना कही इसकी शुरुआत कई बार हमारे घर से ही होती है। असल में, बच्चियों को पालने में पेरेंट्स अक्सर कुछ गलतियां करते हैं, जिसमें उनका भेदभाव आसानी से दिखाई देता है।
मगर आज की बेटी हर काम करने में समक्ष है। वे अपनी काबिलियत से आसमान की ऊंचाइयों को छू रही है। ऐसे में पेरेंट्स को बेटियों की परवरिश में कुछ गलतियां करने से बचना चाहिए...
बेटी होने के बाद बेटा करने की जिद
21 वीं सदी होने पर लोग आज भी लड़का और लड़की में भेदभाव करते हैं। ऐसे में अगर किसी के घर पहली बेटी जाए तो उसके बाद परिवार वाले महिला पर बेटा पैदा करने क लिए प्रेशर डालने लगते हैं। मगर ऐसा करने से बेटी पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए कभी भी बेटी के सामने बेटा-बेटा करने की गलती नहीं करनी चाहिए। दूसरा बच्चा करना गलत नहीं है, मगर एक बेटे को अधिक महत्व देने से घर की बेटी पर नकारात्मक असर डालने का काम कर सकता है।
बेटियों को सिर्फ किचन का काम सिखाना
कई घरों में बेटियों को शुरु से ही रसोई का काम सिखाया जाता है। भले ही कुकिंग सिखना गलत नहीं हैं। मगर सिर्फ बेटी को किचन का काम आना चाहिए ऐसी सोच गलत है। आप अपने बेटे को भी किचन का काम सिखा सकते हैं। आज के जमाने में लड़का- लड़की दोनों ही वर्किंग होते हैं। ऐसे में अगर दोनों को घर व किचन का काम आता होगा तो इससे उनकी गृहस्थी अच्छे से चल सकती हैं। इसलिए बच्चों में फर्क किए बिना दोनों को ही घर का काम सिखाएं।
बेटी के सामने किसी तरह का फर्क न करें
कई घरों में लड़का-लड़की दो बच्चे होते हैं। जाहिर सी बात हैं कि घर पर एक से अधिक बच्चे होने पर उनमें लड़ाई भी हो सकती है। ऐसे में बच्चों की लड़ाई दौरान सिर्फ बेटे की साइड लेने से आपकी बेटी के मन में भेदभाव की भावना पैदा हो सकती है। इसलिए पहले इस बात का पता लगाएं कि आखिर गलती किस की है और उसके बाद उन्हें प्यार से समझाएं।
लड़कियों के लिए खुद खेलकूद तय करना
कई घरों में पेरेंट्स खुद लड़कियों के लिए खेलकूद तय करते हैं। खासतौर पर लोग बच्चियों को केवल गुड़िया, किचन सेट और मेकअप की चीजें ही लाकर देते हैं। इसतरह वे बचपन से गही बेटी के मन में अलग सोच डाल देते हैं। मगर आज की नारी हर फील्ड में नाम कमा रही हैं। ऐसे में आप अपनी बेटी को उसकी पसंद का खेल चुनने दें। फिर चाहे उसे क्रिकेट, फुटबॉल आदि ही खेलना हो।
आवाज उठाने दें
आमतौर पर लोग अपनी बेटी को धैर्य व कम आवाज में बोलने को कहते हैं। मगर लड़कों के लिए ऐसा कोई नियम नहीं होता है। मगर इस तरह लड़का-लड़की में भेदभाव करने से बच्ची के मन में गलत भावना पैदा हो सकती है। इसके साथ ही अपने दोनों बच्चों को सिखाएं कि कुछ गलत होने पर आवाज उठाने पर कभी ना कतराएं।
ऐसे में आपको बेटा और बेटी को बराबर का हक देने के लिए घर से ही कोशिश करनी होगी, ताकि आगे चलकर उसे समाज में बराबरी का हिस्सा मिल सके।