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यहां आम महिलाओं की तरह माता रानी को भी होते हैं  पीरियड्स, तीन दिन तक नदी रहती है लाल

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 22 Jun, 2024 06:48 PM
यहां आम महिलाओं की तरह माता रानी को भी होते हैं  पीरियड्स, तीन दिन तक नदी रहती है लाल

असम के गुवाहाटी में नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित कामाख्या मंदिर में वार्षिक अम्बुबाची मेला शनिवार को शुरू हो गया और देवी के अनुष्ठानिक वार्षिक मासिक धर्म चक्र के साथ ही अगले चार दिन के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए हैं। चमत्कारों से भरे इस मंदिर में देवी की योनि की पूजा की जाती है और योनी भाग के यहां होने से माता यहां रजस्वला भी होती हैं।

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यहां हर साल लगने वाले मेले में लाखों श्रद्धालु आते हैं और कपाट खुलने के बाद पूजा फिर से शुरू होने का इंतजार करते हैं और देवी की अराधना करते हैं। मंदिर के अधिकारियों ने बताया कि ‘प्रब्रिति' की शुरुआत के साथ सुबह आठ बजकर 43 मिनट पर कपाट बंद कर दिए गए और 25 जून को ‘नृब्रिति' के बाद रात नौ बजकर सात मिनट पर कपाल खुलने के बाद पूजा फिर से शुरू होगी।  26 जून को स्नान और नियमित पूजा के बाद मंदिर के कपाट भक्तों के लिए भी खोल दिए जाएंगे। 

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माना जाता है कि जब देवी अपने मासिक धर्म से गुजरती हैं तब पूजा को रोक दिया जाता है।  साल में एक बार इस दौरान मंदिर के कपाट चार दिन के लिए बंद कर दिए जाते हैं। इस अवधि के दौरान मंदिर परिसर में आयोजित होने वाले वार्षिक मेले में देश और विदेश के विभिन्न हिस्सों से भक्त यहां पहुंचते हैं।

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पौराणिक कथाओं में है कि इस मंदिर को कामदेव ने भगवान विश्वकर्मा की मदद से बनवाया था और तब इसका नाम आनंदख्या रखा गया। कामाख्या मंदिर का जिक्र कालिका पुराण, योगिनी तंत्र, शिव पुराण, बृहद्वधर्म पुराण में भी मिलता है। इतिहास में दर्ज है, सोलहवीं शताब्दी में इस मंदिर को नष्ट कर दिया  गया था, लेकिन कालांतर में कूच बिहार के राजा नर नारायण देव ने सत्रहवीं शताब्दी में इस पवित्र मंदिर का फिर से निर्माण करवाया

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इस मंदिर में देवी दुर्गा या मां अम्बे की कोई मूर्ति या चित्र दिखाई नहीं देता है जबकि मंदिर में एक कुंड बना है जो कि हमेशा फूलों से ढ़का रहता है। इस कुंड से हमेशा ही पानी निकलता रहता है। यहां स्थित ब्रह्मपुत्र का पानी तीन दिन के लिए लाल हो जाता है। माना जाता है कि पानी का यह लाल रंग कामाख्या देवी के मासिक धर्म के कारण होता है।  दूसरे शक्तिपीठों की अपेक्षा कामाख्या देवी मंदिर में प्रसाद के रूप में लाल रंग का गीला कपड़ा दिया जाता है।

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब मां कामाख्या को तीन दिन का रजस्वला (Periods) होता है, तो सफेद रंग का कपडा मंदिर के अंदर बिछा दिया जाता है. तीन दिन बाद जब मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं, तब वह वस्त्र माता के रज से भीगा होता है। कामाख्या मंदिर कामरूप के क्षेत्र में स्थित है, जहाँ मां की योनि गिरी थी। ये मंदिर काफी रहस्यों से घिरा हुआ है।

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