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माता पिता की परिक्रमा कर  प्रथम पूज्य बने गणेशजी, गजानन ने दी थी पूरे ब्रह्मांड को सीख

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 10 Sep, 2024 07:53 PM
माता पिता की परिक्रमा कर  प्रथम पूज्य बने गणेशजी, गजानन ने दी थी पूरे ब्रह्मांड को सीख

नारी डेस्क: माता-पिता से बढ़कर संसार में कोई तीर्थ, देवता और गुरु नहीं है और ये बात सबसे पहले गणपति जी ने पूरे ब्रह्मांड को बताई थी। गणेश जी द्वारा अपने माता-पिता की परिक्रमा करने की कथा हिंदू धर्म में बहुत प्रसिद्ध है और इससे हमें भक्ति, बुद्धिमत्ता और माता-पिता के प्रति आदर का महत्वपूर्ण संदेश मिलता है। चलिए जानते हैं इस कथा के बारे में विस्तार से। 
 

कथा का विवरण

एक बार भगवान शिव और माता पार्वती के दोनों पुत्र, गणेश और कार्तिकेय के बीच एक अनोखी प्रतियोगिता आयोजित हुई। माता पार्वती और भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों से कहा कि जो भी सबसे पहले पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा करेगा, वही विजेता होगा और उसे विशेष उपहार मिलेगा।  कार्तिकेय जी ने तुरंत अपना वाहन मोर लिया और ब्रह्मांड की परिक्रमा के लिए निकल पड़े। वे तेजी से आसमान में उड़कर पूरे ब्रह्मांड की यात्रा करने लगे। दूसरी ओर, भगवान गणेश का वाहन मूषक (चूहा) था, जो गति में धीमा था, इसलिए गणेश जी को पता था कि उनके लिए पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा करना कठिन होगा। 
 

गणेश जी की बुद्धिमत्ता


गणेश जी को ज्ञात था कि माता-पिता ही संपूर्ण ब्रह्मांड हैं। इसलिए उन्होंने भगवान शिव और माता पार्वती की ही परिक्रमा की। जब वे अपने माता-पिता के चारों ओर घूमे, तो उन्होंने विनम्रतापूर्वक कहा- "मेरे माता-पिता ही मेरे लिए पूरा ब्रह्मांड हैं।" इस तरह, उन्होंने अपने माता-पिता की परिक्रमा करके इस प्रतियोगिता को पूरा कर दिया।

 

 परिणाम

जब कार्तिकेय ने ब्रह्मांड की परिक्रमा पूरी की और वापस लौटे, तो वे यह देखकर हैरान हो गए कि गणेश जी पहले से ही विजेता बन चुके थे। गणेश जी की इस बुद्धिमत्ता को देखकर भगवान शिव और माता पार्वती ने उन्हें आशीर्वाद दिया और गणेश जी को प्रतियोगिता का विजेता घोषित किया।
 

कथा का महत्व 

इस कथा से यह संदेश मिलता है कि  माता-पिता का सम्मान और सेवा करना सबसे बड़ा धर्म है । यह भी सिखाया गया है कि भक्ति और श्रद्धा के साथ बुद्धिमानी का उपयोग करके किसी भी कठिनाई का समाधान किया जा सकता है। गणेश जी  को इसलिए "बुद्धि और ज्ञान के देवता" माना जाता है, क्योंकि उन्होंने इस प्रतियोगिता में अपनी बुद्धिमत्ता से जीत हासिल की। यह कथा बच्चों और बड़ों दोनों के लिए एक प्रेरणादायक संदेश देती है कि माता-पिता के प्रति आदर, सम्मान और प्रेम सबसे ऊपर है, और उनके आशीर्वाद से ही जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त की जा सकती है।

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