भारत में नारी को देवी का स्वरूप माना जाता है, लेकिन इस देवी पर हो रहे अत्याचार कब रूकेंगे ये आज भी बहुत बड़ा सवाल है। कन्या भ्रूण हत्या, बाल विवाह, लड़का-लड़की में भेदभाव, घरेलू हिंसा इसके सबसे बड़े उदाहरण है। वहीं दहेज प्रथा तो ऐसी जंजीर है जिससे बाहर निकलना एक लड़की ने लिए बेहद मुश्किल है। देश की कितनी बेटियां आज भी इस काली प्रथा की भेंट चढ़ा दी जाती है।
धड़ल्ले से लिया जा रहा है दहेज
लाख कोशिशों के बाद भी दहेज जैसी कुप्रथा किसी न किसी तरीके से ज़िंदा है। कोई और नाम देकर भारत में आज भी दहेज को धड़ल्ले से लिया जा रहा है। जिसे अक्सर एक सामाजिक बुराई के रूप में वर्णित किया जाता है ना सिर्फ भारत में फलती-फूलती रही है बल्कि इसने महिलाओं के साथ होने वाली घरेलू हिंसा को भी बढ़ावा दिया है बल्कि कई बार तो इसके कारण मौत भी हो जाती है। हाल ही में सामने आए आकड़ों ने तो समाज को शर्मसार कर दिया है।
हर दिन सामने आ रहे दहेज के मामले
देश में वर्ष 2017 से 2021 के बीच दहेज की वजह से मौत के लगभग हर दिन करीब 20 मामलों की सूचना मिली और उत्तर प्रदेश में हर दिन दहेज से सर्वाधिक छह मौत की खबर आई। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि देश में 2017 से 2021 के बीच दहेज की वजह से मौत के 35,493 मामलों का पता चला।
ये है सभी राज्यों का हाल
वर्ष 2017 में दहेज से मौत के 7,466 मामले, 2018 में 7,167 मामले, 2019 में 7,141 मामले, 2020 में 6,966 मामले और 2021 में 6,753 मामलों की सूचना मिली। उत्तर प्रदेश में इन पांच वर्ष के दौरान हर दिन दहेज से सर्वाधिक छह मौत की खबर आई। 2017 से 2021 के दौरान दहेज के कारण मौत के बिहार में 5,354 मामले, मध्य प्रदेश में 2,859 मामले, पश्चिम बंगाल में 2,389 मामले और राजस्थान में 2,244 मामलों की सूचना मिली।
देश के हालात सुधरने की संभावना नहीं
भारत आबादी का एक बड़ा हिस्सा दहेज के रूप में कैश, गहनें, कपड़े और मूल्यवाद वस्तुएं देता आ रहा है, जिसमें बदलाव की कोई संभावना नहीं है। विश्व बैंक रिसर्च के अनुसार,केरल में 1970 के दशक से दहेज का चलन तेजी से बढ़ा है और पिछले कुछ वर्षों में सबसे अधिक दहेज यहीं दिया-लिया गया। वहीं हरियाणा, गुजरात और पंजाब में भी दहेज की दर में काफी वृद्धि हुई। हालांकि, ओडिशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में दहेज प्रथा में काफी कमी आई है।