प्रभु श्रीराम और माता सीता को मैरिड कपल्स के लिए आदर्श जोड़ी माना जाता है। खासतौर पर आज के शादीशुदा कपल्स को इनके वैवाहिक जीवन से कुछ सीख लेनी चाहिए, जिससे उन्हें मजबूत और खुशहाल मैरिड लाइफ बीताते में मदद मिल सके। चलिए आज हम आपको रामनवमी के पावन दिन पर माता सीता और प्रभु श्रीराम की शादीशुदा जीवन से जुड़ी कुछ अहम बातें बताते हैं...
त्याग की भावना
प्रभु श्रीराम ने परिवार के सुख के लिए राजपाठ छोड़कर वनवास जाने का फैसला किया। मगर उनके इस त्याग में उनकी पत्नी यानि माता सीता ने भी साथ निभाया। रामायण में मां सीता को 14 सालों का वन में रहने को नहीं कहा गया था। मगर पत्नी धर्म का पालन करते हुए उन्होंने महलों का सुख छोड़ पति के साथ वन जाना चुना। ऐसे में आज के कपल्स को इनसे त्याग और हर साल में एक-दूसरे का साथ निभाने की सीख लेनी चाहिए। इससे रिश्ते में मजबूती आती है और मुश्किलों में पार्टनर का साथ देने पर परेशानी हल ही हल हो जाती है।
पैसा सब कुछ नहीं
बता दें, देवी बचपन से भी पूरी सुक-सुविधा के साथ पली बड़ी थी। वे राज घराने की पुत्री थी और कुलवधु बनी। मगर फिर भी पति को वनवास मिलने पर उन्होंने से राजसी सुखों का त्याग कर वन में जाने का फैसला किया। वहीं आजकल के कपल्स शादी से पहले एक-दूसरे का नेचर, बैंक बैलेंस आदि देखते हैं। मगर असल में, हमें ये देखना चाहिए कि पार्टनर जीवन में सुख-दुख में साथ निभाने वाला है या नहीं। साथ ही आज के कपल्स को माता सीता से सीख लेनी चाहिए कि किस तरह साथी की खुशी के लिए किस तरह खुद को ढालना है।
पतिव्रता-पत्नीव्रता
कोई भी रिश्ता विश्वास, ईमानदारी पर टिका होता है। रावण द्वारा माता सीता का हरण करने पर भी जानकी मां ने अपना पतिव्रता धर्म नहीं छोड़ा। प्रभु श्रीराम से दूर होने पर भी उन्होंने उनकी यादों के सहारे समय काटा। वे रावण द्वारा समझाने, धमकाने या लालच देने पर भी अपनी बात पर अड़ी रही और अपने पत्नि धर्म को निभाती रहीं। दूसरी ओर अश्वमेघ यज्ञ के दौरान माता सीता के ना होने पर श्रीराम ने दूसरी शादी करने की जगह जानकी मां की सोने की मूर्ति बनवाकर उन्हें अपने साथ बिठाया। इसतरह प्रभु राम ने भी दूसरा विवाह न करके अपना पति धर्म निभाया। एक-दूसरे से दूर होने पर भी दोनों में प्यार, विश्वास बरकरार रहा। इसतरह जीवन में कई तरह की परेशानियां आना आम है। मगर हमें किसी भी हालत में अपना पतिव्रता-पत्नीव्रता धर्म नहीं भूलना चाहिए। दूर होने पर भी अपने रिश्ते का प्यार और मजबूती कम नहीं होने देनी चाहिए।
पत्नी का सम्मान और सुरक्षा
रावण द्वारा माता सीता के हरण होने पर जितनी दुखी जानकी मां थी, उतने ही परेशान भगवान राम भी थे। अपनी पत्नी के मान-सम्मान और सुरक्षा के लिए उन्होंने लंका पति रावण के साथ युद्ध किया। रावण को मारकर सारी राक्षस जाति का संहार किया और विभीषण को राजपाठ दिलाया। ऐसे में आज के कपल्स को भगवान राम से सीख लेनी चाहिए कि किस तरह पत्नि काे सम्मान और सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए। इन बातों को अपनाकर आप सुख और खुशहाली भरा वैवाहिक जीवन बीता सकते हैं।