देशभर में आज ईद का त्योहार मनाया जा रहा है। रमज़ान के पाक महीने का 30वां रोजा रविवार को मुकम्मल किया गया। इसके साथ ही ईद के चांद का दीदार हो गया है। ईद-उल-फितर का मतलब होता है कि हर आदमी एक दूसरे को बराबर समझे और इंसानियत का पैगाम फैलाए। हालांकि इस बार कोरोना लॉकडाउन के बीच ईद पर वह रौनक नहीं दिखी जो हर साल बाजारों में देखने को मिलती है। इसके साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए लोगों से एक-दूसरे से गले ना मिलने और घरों में ही नमाज अदा करने की अपील की जा रही है।
कब मनाया जाता है ईद का त्योहार
ईद-उल-फित्र के साथ इस्लामिक कैलेंडर के शव्वाल महीने की शुरुआत होती है। ये इस्लामिक कैलेंडर का दसवां महीना होता है। ईद के चांद का दीदार होने के बाद यानी शव्वाल का महीना शुरू होने के साथ ईद मनाई जाती है, इसलिए दुनियाभर में इसकी तारीख अलग-अलग होती है।
त्योहार का इतिहास
ऐसा कहा जाता है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र युद्ध में विजय प्राप्त की थी। उनके विजयी होने की खुशी में लोगों ने ईद का त्योहार मनाना शुरू किया। ऐसी मान्यता है कि 624 ईस्वी में पहली बार ईद उल फित्र मनायी गई थी।
ऐसे मनाया जाता है ये त्योहार
इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर नए कपड़े पहनकर ईद की नमाज़ पढ़ते हैं। इस दिन पढ़े जाने वाली पहली नमाज़ को सलात अल फज़्र कहते हैं। ईद-उल-फितर के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग घरों में मीठे पकवान, सेंवईं बनाते हैं। साथ ही आपस में गले मिलकर सभी शिकवे दूर करते हैं। इस्लाम धर्म का यह त्योहार भाईचारे का संदेश देता है। ईद से पहले रमज़ानों में हर मुस्लमान एक खास रकम देते हैं जिसे जकात कहते हैं जो गरीबों और जरूरतमंदों के लिए निकाल दी जाती है। नमाज के बाद परिवार में सभी लोगों का फितरा दिया जाता है।
मीठी ईद
ईद-उल-फित्र को मीठी ईद भी कहते हैं, क्योंकि रोजों के बाद ईद-उल-फित्र पर मीठी चीड का पहले सेवन किया जाता है। इसके अलावा मिठाइयों के लेन-देन, सेवइयों और शीर खुर्मा के कारण भी इसे मीठी ईद कहते हैं।
अल्लाह का शुक्रिया
ईद उल फितर के मौके पर लोग अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं कि उन्हें महीने भर उपवास रखने की ताकत दी।