वन महोत्सव, एक वार्षिक वृक्षारोपण उत्सव है जो जुलाई के महीने में वन संरक्षण और पर्यावरण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। जाने-माने पूर्वस्कूली शिक्षा संगठन, ट्रीहाउस का मानना है कि प्रकृति के साथ निरंतर संपर्क से बच्चों में एक गहरी और स्थायी पर्यावरण जागरूकता पैदा करने में मदद मिल सकती है।
जैसा कि ट्रीहाउस के संस्थापक और सीईओ राजेश भाटिया कहते हैं, “आमतौर पर हम कुछ खास दिनों में पर्यावरण का जश्न मनाते हैं, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि बच्चों को प्रीस्कूल से ही प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाया जाए ताकि वे बड़े होकर इस पृथ्वी के जिम्मेदार नागरिक बन सकें। साधारण बाग़बानी, बगीचे में निर्देशित पर्यटन, हमारी भलाई के लिए पेड़ कितने महत्वपूर्ण हैं, ये सब सीखने से बच्चों को पर्यावरण के साथ एक मजबूत बंधन बनाने में मदद मिल सकती है। हमने प्रत्यक्ष रूप से यह भी देखा है कि बाहरी गतिविधियाँ और बाग़बानी, बच्चों के मोटर स्किल्स में भी सुधार करती है।"
ट्रीहाउस, भारत में प्री-स्कूल शिक्षा सेवाओं का एक अग्रणी प्रदाता है, अपने नाम के अनुरूप, छायांकित क्षेत्रों के निर्माण सहित विशिष्ट पद्धतियों के साथ शिक्षण में हरित संवेदनशीलता लाने की कोशिश कर रहा है जहाँ बच्चे खेल खेल में बहुत कुछ सीख जाते हैं। राजेश कहते हैं, प्रारंभिक शिक्षा के दौरान बच्चों को न केवल पौधे लगाना ही सिखाया जाना चाहिए बल्कि प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी की भावना विकसित करने के लिए आसानी से समझ आने वाले तथ्यों और व्यावहारिक पाठों को भी शिक्षा में शामिल करना चाहिए। जब बच्चे फल और सब्जियां उगाना सीखते हैं, तो स्वस्थ आहार खाने के लिए भी उत्साहित होते हैं।
ट्रीहाउस एक उन्नत शिक्षण पद्धति के माध्यम से बच्चों के समग्र विकास के प्रति समर्पित है और एक अद्वितीय शिक्षा मॉडल का अनुसरण करता है। राजेश मानते है कि प्रकृति-केंद्रित शिक्षा बच्चों को अधिक दयालु बनाती है और शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालती है।
राजेश कहते है, “औद्योगीकरण और शहरीकरण ने हमें हमारे जंगलों, पार्कों और प्राकृतिक संसाधनों को प्रदूषित कर दिया है। इस की कीमत हम सामूहिक रूप से चुकाते हैं जब महामारी अघोषित रूप से आती है और प्राकृतिक आपदाएं बार-बार आती हैं। हमारे बच्चे इस धरती को विरासत में ग्रहण करेंगे और अभी ही से उन्हें इसकी देखभाल करना आना चाहिए। हमारा लक्ष्य भविष्य के नागरिकों का निर्माण करना है जो धरती को सहेज कर, उसे पोषित करने का सामर्थ्य और धैर्य रखते हों।"