मासिक धर्म यानि पीरियड्स से महिलाओं को हर महीने 2-4 होना पड़ता है। मासिक धर्म में ब्लीडिंग से निपटने के लिए जहां महिलाएं पहले के समय में कपड़ा, रेत, पत्थर जैसी चीजें चूज करती हैं वहीं आजकल सैनेटरी पैड्स जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। हालांकि आजकल लड़कियों में मेंस्ट्रुअल कप्स (Menstrual Cups) का चलन भी खूब बढ़ने लगा है। ये कम्फर्टेबल होने के साथ-साथ एनवायरनमेंट फ्रेंडली और सैनेटरी पैड्स से सस्ते भी होते हैं। हालांकि अभी भी बहुत-सी लड़कियों के इसके बारे में कम जानकारी है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं मेंस्ट्रुअल कप्स से जुड़ी कुछ जरूरी बातें...
क्या है Menstrual Cup?
यह घंटी के आकार का मुलायम व लचीले मेडिकल ग्रेड सिलिकॉन से बना एक कप होता है, जिसे वैजाइना में इन्सर्ट किया जाता है। यह बहुत ज्यादा फ्लेक्सिबल होते हैं, जिसे आप इसे कई बार यूज कर सकती हैं लेकिन मार्केट में सिंगल यूज मेंस्ट्रुअल कप भी मिलते हैं। एक अच्छी कंपनी का मेंस्ट्रुअल कप आपको 300 से 500 रु में मिल जाएगा, जिसे करीब 10 साल तक यूज किया जा सकता है।
कितने सुरक्षित मेंस्ट्रुअल कप?
मेंस्ट्रुअल कप ना सिर्फ कई महीनों तक खर्चा बचाते हैं बल्कि इससे इंफैक्शन का खतरा भी कम होता है। रिपोर्ट के मुताबिक, सैनिटरी नैपकिन के मुकाबले इसे ज्यादा सुरक्षित माना गया है। दरअसल, सैनिटरी नैपकिन में लगा ब्लड वैजाइना के आप-पास लगा रहता है, जिससे इंफेक्शन हो सकता है, जबकि मेंस्ट्रुअल कप्स में ऐसा नहीं होता। इसमें ब्लड कप में इकठ्ठा हो जाता है, जिससे बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरना नहीं रहता। वहीं, यह नैपकिन की तरह लंबे समय तक गीला भी नहीं रहता।
कितनी तरह के होते हैं मेंस्ट्रुअल कप?
1. कीपर कप (Keeper Cup): नेचुरल गोंद रबर (लेटेक्स) से बने ये छोटे, लचीले कप दोबारा यूज किए जा सकते हैं। किफायती होने के साथ यह काफी आरामदायक और पर्यावरण के अनुकूल होते हैं।
2. मूनकप (Moon Cup): रबर या सिलिकॉन से बने ये कप अन्य तरीकों की तुलना में अधिक खून इकट्ठा कर सकते हैं। हालांकि इसे इस्तेमाल करने में थोड़ा समय लग सकता है।
3. दीवा कप (Diva Cup): रबड़ या सिलिकॉन से बने ये फनल साइज के कप भी अधि ब्लड इकट्ठा करने साथ पहनने में कम्फर्टेबल होते हैं।
4. लेना कप (Lena Cup): नए आधुनिक डिजाइन के बने इन कप्स को आप रातभर और एक बार में 12 घंटे तक पहन सकती हैं। यह पहनने में भी काफी कम्फर्टेबल होते हैं।
मेंस्ट्रुअल कप्स का ऐसे करें इस्तेमाल
-ध्यान रखें कि मेंस्ट्रुअल कप्स का चुनाव अपने बॉडी शेप, पीरियड्स ब्लीडिंग के हिसाब से ही करें। सबसे पहले इसे स्टेरलाइज्ड करके थोड़ा ठंडा होने दें और फिर इस्तेमाल करें
-इसे यूज करने से पहले अच्छी तरह साफ और सी-शेप में फोल्ड करें और फिर वैजाइना में इंसर्ट करें। कप अंदर जाकर खुद खुलकर दीवारों पर चिपक जाएगा और ब्लड को रोकने के लिए शेप ले लेगा।
-कप को बाहर निकालते समय नीचे से दबाकर खीच लें। कप में जमा ब्लड को टॉयलेट में खाली करें। आपको कम से कम 12 घंटे तक इसे बदलने की जरूरत नहीं पड़ेंगी। पीरियड्स खत्म होने के बाद आप इसे अच्छी तरह धोकर व साफ करके रख सकती हैं। अगर इन्सर्ट करने में दिक्कत हो तो वाटर बेस्ड लुब्रिकेंट यूज करें।
मेंस्ट्रुअल कप के फायदे
1. यह सेनेटरी पैड की तुलना में सस्ते होते हैं और आप इन्हें स्टेरलाइज्ड करने के बाद दोबारा यूज कर सकती हैं।
2. सेनेटरी पैड के मुकाबले इससे इंफेक्शन का खतरा भी कम होता है।
3. सेनेटरी पेड हर 6-7 घंटे में बदलना पड़ता है जबकि एक मेंस्ट्रुअल कप कम से कम 12 घंटे तक चलता है।
मेंस्ट्रुअल कप के नुकसान
असर इसे सही तरीके से इन्सर्ट ना किया जाए तो महिलाओं को योनी में दर्द हो सकता है। हालांकि सही तरीका पता होने पर ये दिक्कत नहीं आएगी। वहीं, अगर इसे सही तरीके से स्टेरलाइज्ड ना किया जाए तो यह संक्रमण का कारण भी बन सकता है।
ध्यान रखें कि इसे यूज करने के बाद पानी में अच्छी तरह उबालें लें, ताकि इसमें किसी तरह की गंदगी न रह जाए।