स्कूली विद्यार्थियों की बोर्ड परीक्षाएं वीरवार से शुरू हो रही हैं, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी के टीकरी और सिंघू बॉर्डर के आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों को इस बात की फिक्र है कि किसानों के प्रदर्शन की वजह से लागू यातायात और सुरक्षा संबंधी पाबंदियों के चलते उनके बच्चे इम्तिहान केंद्र तक कैसे पहुंचेंगे। पंजाब के किसान फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाला कानून बनाने सहित अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी आना चाहते हैं।
किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश से रोकने के लिए दिल्ली-हरियाणा सीमा क्षेत्रों के आसपास मंगलवार से प्रतिबंध लागू किए गए हैं। इसके तहत धातु के बैरिकेड्स और कंक्रीट ब्लॉक को लगाया गया है। टीकरी क्षेत्र के एक स्थानीय निवासी ने कहा कि बच्चे कोचिंग केंद्रों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, वे परीक्षा केंद्रों तक कैसे पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों ने माता-पिता की चिंता बढ़ा दी है, जो पहले से ही "परीक्षा के तनाव" से जूझ रहे हैं।
लड़कियों के एक समूह ने कहा कि प्रतिबंधों के कारण उन्हें जल्दी घर से निकलना होगा क्योंकि परीक्षा केंद्र उनके गांव से लगभग सात किलोमीटर दूर है। उनका परीक्षा केंद्र राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक बाल विद्यालय, टीकरी कलां में पड़ा है। एक छात्रा ने कहा- “हमारे पास कोई वाहन नहीं है। इसलिए हमें अपने परीक्षा केंद्र पर समय पर पहुंचने के लिए जल्दी निकलना होगा और ऑटो या बस लेनी होगी।” जिनके पास वाहन हैं, उन्होंने भी यातायात जाम से बचने के लिए मेट्रो ट्रेन का उपयोग करने का फैसला किया है।
टीकरी बॉर्डर के निवासी और 12वीं कक्षा के छात्र सूरज उपाध्याय ने कहा- “ मेरा परीक्षा केंद्र दक्षिणी दिल्ली के महरौली में है, जो लगभग 40 किमी दूर है। मुझे सुबह आठ बजे केंद्र पहुंचना है। भारी यातायात के कारण मैं कार से नहीं जाऊंगा। इसके बजाय, मैं वहां पहुंचने के लिए मेट्रो का इस्तेमाल करूंगा।” सिंघू बॉर्डर के पास रहने वाली सीबीएसई स्कूल की छात्रा पल्लवी ने कहा-"मैंने अपने घर से तीन से चार घंटे पहले निकलने की योजना बनाई है क्योंकि मेरा परीक्षा केंद्र डीएवी प्रीतमपुरा में है। मैं केंद्र के बाहर एक घंटे इंतजार कर सकती हूं, लेकिन मैं केंद्र पहुंचने में देर नहीं कर सकती।”
सिंघु बॉर्डर के पास रहने वाली एक महिला ने कहा- “वहां कई यातायात संबंधी प्रतिबंध लगाए गए हैं, जिसके कारण बच्चे कोचिंग केंद्र या खेलने नहीं जा पा रहे हैं।” एक अन्य अभिभावक ने कहा- "इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है और परीक्षा में उनके अंकों पर असर पड़ सकता है।" एसकेएम के भारत बंद के आह्वान पर कुछ अभिभावकों ने कहा- “हम पीड़ा में हैं। उन्होंने कहा कि उनके बच्चे इम्तिहान में अच्छा करने के लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं और रेल-सड़क नाकेबंदी के कारण या परिवहन के साधन उपलब्ध नहीं होने की वजह से अगर वे परीक्षा केंद्र ही नहीं पहुंच पाएंगे तो उनका परिश्रम ज़ाया चला जाएगा।