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बढ़ते वायु प्रदूषण ने बढ़ाया Breast Cancer का खतरा, एक्सपर्ट्स ने किया Alert

  • Edited By palak,
  • Updated: 24 Oct, 2023 12:37 PM
बढ़ते वायु प्रदूषण ने बढ़ाया Breast Cancer का खतरा, एक्सपर्ट्स ने किया Alert

सर्दियों की दस्तक के साथ-साथ दिल्ली समेत कई राज्यों की हवा जहरीली होने लग गई है। ऐसे में बढ़ता वायु प्रदूषण कई तरह की बीमारियों को जन्म दे रहा है। वायु प्रदूषण मुख्य रुप से पार्टिकुलेट मैटर पीएम 2.4 और पीएम 10 तक हो गया है। ऐसे में इसके चलते महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर बढ़ने की आशंका सामने आई है। आपको बता दें इससे पहले भी हर साल वायु प्रदूषण के चलते सांस की बीमारियां, अचानक से दिल का दौरा पड़ना जैसे मामले पहले भी दिख चुके हैं लेकिन अब ब्रेस्ट कैंसर ने महिलाओं की चिंता बढ़ा दी है। वायु प्रदूषण के कारण महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर को लेकर अमेरिका और फ्रांस से 20 साल के पहली की स्टडी सामने आई है। 

स्टडी ने बढ़ाई चिंता 

पिछले एक महीने में प्रकाशित हुई रिपोर्ट में पार्टिकुलेट मैटर और ब्रेस्ट कैंसर के घर के अंदर और बाहर के संपर्क के बीच में संबंध दिखाया गया है। स्टडी में सल्फर, डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसों की रासायनिक प्रतिक्रियाओं के जरिए वातावरण में बनने वाले कण PM 2.5 को जोड़ने वाली कई बातें बताई गई हैं। इसमें कुछ कार्बनिक योगिक ऐसे भी सामने आए हैं जो असमय मौतों से जुड़े हुए हैं। 2015 में ही इंटरनेशनल एंजेसी  फॉर रिसर्च ऑन कैंसर ने निष्कर्ष निकाला था कि बाहरी वायु प्रदूषण में मौजूद पीएम फेफड़ों के कैंसर का कारण बनते हैं। 

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मुंबई में फैला दिल्ली से ज्यादा प्रदूषण 

मुंबई में यहां लंबे समय से यह माना जाता था कि समुद्री हवा नागरिकों को वायु प्रदूषण से बचाती हैं अब वहीं कुछ दिनों से बिल्कुल अलग ही नतीजे सामने आ रहे हैं। एक हफ्ते पहले दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल मुंबई में पीएम 10 का स्तर दिल्ली से भी कई ज्यादा था। एक्सपर्ट्स ने वायु प्रदूषण के कारण होने वाले नुकसान को पता करने के लिए आरटीआई का इस्तेमाल यह पता करने के लिए किया कि अस्थमा के हर 100 मरीजों में से नौ गोवंडी से हैं जहां पर टीबी, ब्रोंकाइटिस और सीओपीडी जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों की घटनाएं सबसे ज्यादा है। 

मुंबई के डॉक्टरों ने दी सलाह 

पीएम 2.5 स्तनर के कैंसर के बीच संबंध बहुत नया है। कुछ स्टडी से प्रदूषण और कैंसर के बीच का संबंध पता चला है। एक्सपर्ट्स ने कहा कि वायु प्रदूषण शरीर में सूजन पैदा करता है जिससे कैंसर का खतरा बढ़ने लगता है। उन्होंने कहा कि जोखिम कारकों की पहचान करना जरुरी ताकि समस्या को समय रहते नियंत्रित किया जा सके। उन्होंने कहा कि इसका अर्थ यह नहीं है कि वायु प्रदूषण स्तन कैंसर का कारण है। सीधा संबंध बनाने से लिए पहले और भी स्टडी का इंतजार करना जरुरी है। अन्य कैंसर के अलावा स्तन कैंसर धूम्रपान को छोड़कर किसी भी अन्य बीमारी या कार्सिनोजेन से नहीं जोड़ा जा सकता है। यह मुख्य रुप से हार्मोन प्रभावित कारकों के कारण ही होता है।

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क्या कहती है अमेरिका फ्रांस की स्टडी 

फ्रांस की स्टडी जो कि 2023 में प्रस्तुत की गई थी इसमें यह पाया गया है कि सूक्ष्म कण पीएम 2.5 वायु प्रदूषण के संपर्क में 10 ग्राम/घन मीटर की वृद्धि हुई तो स्तर कैंसर का 28% बढ़ गया। इसमें 1990 से 2011 के बीच स्तन कैंसर से पीड़ित 2,419 महिलाओं और बिना स्तन कैंसर वाली 2,984 महिलाओं को शामिल किया गया। यह स्टडी सितंबर की शुरुआत में प्रकाशित हुई थी। इसमें उच्च पीएम 2.5 जोखिम वाले क्षेत्रों में रह रहे लोगों में स्तन कैंसर की घटनाओं में 8% वृद्धि देखी गई। शोध में 20 साल के पीरियड में 5 लाख महिलाएं और पुरुष शामिल किए गए इनमें से 15,870 में स्तन कैंसर के मामले पाए गए हैं। एक्सर्ट्स का कहना है कि पीएम 2.5 फेफड़ों में गहराई से आ सकता है और यहां से यह ब्लड फ्लो में प्रवेश कर सकता है जिसके कारण ब्रेस्ट और अन्य टिशूज अवशोषित हो जाते हैं। ऐसे में इन नतीजों से यह बात साबित हुई है कि वायु प्रदूषण स्तन की बनावट को बदल सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह देखने के लिए टेस्ट किए जाने चाहिए कि क्या छोटे-छोटे प्रदूषण कारक ब्रेस्ट के टिश्यूज में मौजूद उत्परिवर्तन वाली कोशिकाओं को बढ़ाने और ट्यूमर का कारण बनते हैं। 

बढ़ रहे हैं ब्रेस्ट कैंसर के मामले 

आंकड़ों की मानें तो भारत में 1965 और 1985 के बीच स्तन कैंसर की घटनाओं में 50% वृद्धि हुई थी वहीं ग्लोबोकैन डेटा 2020 के अनुसार, भारत में स्तन कैंसर सभी कैंसर के मामलों में 13.5% और 10.6 % बढ़े हैं। ऐसे में स्टडीज में अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्ष 2030 तक स्तन कैंसर का वैश्वि भोझ लगभग 20 लाख से अधिक होने की उम्मीद है। एक्सपर्ट्स ने कहा कि हम लोग बालों के रंगों और डियो को स्तन कैंसर का जिम्मेदार मान रहे थे लेकिन यह गलत साबित हुए हैं। वायु प्रदूषण को दोष देने की जगह हमें ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरुकता बढ़ानी चाहिए ताकि समस्या को नियंत्रित किया जा सके। 

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