22 NOVFRIDAY2024 11:41:07 AM
Nari

Janmashtami: श्रीकृष्ण को क्यों 2 बार बनना पड़ा किन्नर? जानिए रोचक कहानी

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 12 Aug, 2020 05:45 PM
Janmashtami: श्रीकृष्ण को क्यों 2 बार बनना पड़ा किन्नर? जानिए रोचक कहानी

किन्नर, जिन्हें हिजड़ा भी कहा जाता है भारतीय समाज में अलग नजरों से देखा जाता है। वहीं दूसरी ओर किन्नरों का आशीर्वाद लेना शुभ माना जाता है इसलिए नवविवाहित जोड़ व बच्चा होने पर उन्हें किन्नर की दुआएं दिलाई जाती हैं। यही नहीं, लोगों को एक अनोखी सीख देने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने भी किन्नर रुप धारण कर लिया था। चलिए आपको बताते हैं भगवान श्रीकृष्ण की एक ओर अनोखी लील, जिसने सीखाया दुनिया को प्रेम का महत्व...

 

इसलिए श्रीकृष्ण ने धारण किया किन्नर का रुप

भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं ना सिर्फ अपरंपार होती थी बल्कि उनसे कोई ना कोई सीख भी मिलती थी। अपनी लीलाओं के कारण श्रीकृष्ण को दो बार किन्नर भी बनना पड़ा था। पहली बार वह प्रेम के हाथों मजबूर थे तो वहीं दूसरी बार धर्म का पाठ पढ़ाने के लिए उन्हें ऐसा करना पड़ा।

जब प्यार के लिए बनें किन्नर कान्हा

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, एक देवी राधा खुद पर अभिमान करने लगी थी। उनकी सखियों ने उन्हें बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन उनका अभिमान कम ना हुआ। यही नहीं, श्रीकृष्ण ने जब उनसे मिलना चाहा तो उन्होंने मना कर दिया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने सखियों की सलाह ली और किन्नर (श्यामरी सखी) बन गए। वह वीणा बजाते हुए राधा के महल से गुजरे, जिसे सुन देवी राधा अभिमंत्रित हो उठी।

PunjabKesari

देवी राधा को हो गया था अभिमान

घर से बाहर आकर श्यामरी सखी का रुप देखने पर देवी राधा उनपर मोहित हो उठी। उन्होंने श्यामरी सखी बने श्रीकृष्ण को हार भेंट किया लेकिन कान्हा ने हार लेने से मना कर दिया और कहा कि मुझे आपका मानरूप रत्न चाहिए। इसपर राधा श्यामरी बनी कान्हा को समझ गई और अपना अभिमान त्याह दिया। इस तरह दोबारा राधा-कृष्ण का मिलन हो हुआ।

जब धर्म स्थापना के लिए किन्नर बने श्रीकृष्ण

कथाओं के मुताबिक, पांडवों को अपनी जीत के लिए रणचंडी को प्रसन्न था, ताकि वह महाभारत युद्ध में विजयी हो सके। इसके लिए पांडवों को राजकुमार की बली देनी थी। तभी अर्जुन के पुत्र इरावन अपना बलिदान देने को तैयार हो गए लेकिन एक रात के लिए विवाह करने की शर्त रख दी।

PunjabKesari

अर्जुन पुत्र की इच्छा पूरी करने के लिए बने थे किन्नर

किन्नर इरावन से विवाह करने के लिए जब कोई कन्या तैयार नहीं हुई तब भगवान श्रीकृष्ण मोहिनी का रुप धारण करके आए और उनसे विवाह रचाया। यही नहीं, इरावन के बलिदान के बाद मोहिनी रुप में कान्हा ने पति की मौत का विलाप भी किया।

किन्नर सदियों से निभा रहे यह परंपरा

यही वजह है कि तमिलनाडु के 'कोथांदवर मंदिर' बड़ी संख्या में किन्नर यही परंपरा निभाते हैं। किन्नर उसी तरह देवता इरावन से विवाह रचाते हैं और फिर अगले दिन विधवा बन पति की मृत्यु का विलाप करते हैं।

PunjabKesari

Related News