लड़कियों में टीनएज आते-आते पीरियड शुरु होने के साथ ही शरीर में और भी कई तरह के बदलाव आने लगते हैं। इसी में से एक है व्हाइट डिस्चार्ज। वैसे तो वजाइनल डिस्चार्ज सभी महिलाओं को होता है। कुछ समय के लिए सीमित मात्रा में इस व्हाइट डिस्चार्ज के निकलने से बॉडी को कोई परेशानी नहीं होती, क्योंकि ये महिलाओं को वजाइनल इंफेक्शन से बचाता है। ये डिस्चार्ज फिजिकल रिलेशन बनाने के दौरान ग्रीस का भी काम करता है। लेकिन जब इस डिस्चार्ज की मात्रा ज्यादा हो जाए तो ये वजाइना में इंफेक्शन का कारण बन सकता है। इसे मेडिकल टर्म में लिकोरिया कहा जाता है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...
लिकोरिया क्या है?
यह महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है जो पीरियड्स से पहले या बाद में सामान्य तौर पर एक से दो दिन के लिए होता है। इससे पीड़ित महिला के प्राइवेट पार्ट से सफेद, पीला, हल्का नीला या लाल रंग का चिपचिपा और बदबूदार पदार्थ निकलता है। ज्यादातर मामलों में ये पदार्थ सफेद रंग का होती है। हर महिला में इस स्राव की मात्रा अलग-अलग हो सकती है।
व्हाइट डिस्चार्ज कौन सी स्थितियों में नार्मल होता है...
1. पीरियड्स से पहले और पीरियड्स के बाद अगर डिस्चार्ज हो तो नॉर्मल माना जाता है। इससे महिलाओं को किसी तरह के इंफेक्शन का खतरा नहीं होता है।
2. हॉर्मोन्स में बदलाव होने पर वजाइनल डिस्चार्ज नॉर्मल माना जाता है।
3. प्रेग्रेंसी में व्हाइट डिस्चार्ज नॉर्मल माना जाता है।
4. पीरियड्स आने से कुछ दिन पहले व्हाइट डिस्चार्ज कोशिकाओं और द्रव से भरा होता है जो नॉर्मल होता है। इस डिस्चार्ज का रंग हल्का पीला होता है।
5. ओवल्युशन के समय सफेद क्रिमी डिस्चार्ज नॉर्मल माना जाता है। ये डिस्चार्ज इस बात का सबूत है कि आपकी बॉडी में ओवल्युशन हो रहा है।
जरुरत से ज्यादा डिस्चार्ज होने का कारण:
1.प्राइवेट पार्ट की साफ-सफाई का ध्यान न रखना
2.खून की कमी
3.बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन
4.विटामिन डी की कमी
5.विटामिन सी की कमी
6.यूरिनरी इंफेक्शन
7.कमजोर इम्यून सिस्टम
8. एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल कम होना
व्हाइट डिस्चार्ज ज्यादा होने पर क्या करें
व्हाइट डिस्चार्ज या सफेद पानी की समस्या ज्यादा हो तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें। इसके अलावा आप खुद भी कुछ इलाज के तरीके जान लें-
एंटीफंगल और एंटीबायोटिक दवाएं
यीस्ट इंफेक्शन के कारण व्हाइट डिस्चार्ज की समस्या हो रही है, तो डॉक्टर एंटीफंगल दवा दे सकते हैं। ये दवा पिल्स या जेल व क्रीम के फॉर्म में हो सकती हैं। वहीं बैक्टीरियल इंफेक्शन (bacterial infection) होने पर एंटीबायोटिक्स दी जा सकती हैं। व्हाइट डिस्चार्ज के दौरान टाइट कपड़े पहनने से बचें। बॉथरूम इस्तेमाल करने के बाद साफ वाइप्स का इस्तेमाल करें और त्वचा को ड्राई रखें। वजाइनल एरिया को साफ करने के लिए सीधे साबुन का इस्तेमाल करने से बचें।
दूध और केला खाएं
व्हाइट डिस्चार्ज की समस्या को दूर करने के लिए केला और दूध फायदेमंद माना जाता है। आप एक गिलास दूध में एक चम्मच घी और केला मैश करके डालें और शेक बनाकर पी सकती हैं। इससे व्हाइट डिस्चार्ज आने की समस्या कुछ ही दिनों में ठीक हो जाएगी। इसी तरह अंजीर भी व्हाइट डिस्चार्ज की समस्या दूर करने में मदद करता है। अंजीर को रात को भिगोकर रख दें। सुबह खाली पेट चबाकर खाएं। इसके बाद पानी पी लें।
आंवला को करें डाइट में शामिल
आंवला में विटामिन सी और कई जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। आंवला इम्युनिटी को मजबूत बनाता है और हमें हेल्दी भी रखता है। आप आंवला का सेवन कच्चा, पाउडर, मुरब्बा या फिर कैंडीज के रूप में कर सकते हैं। नियमित रूप से आंवले का सेवन करने से भी व्हाइट डिस्चार्ज से मुक्ति मिलेगी।
खाली पेट पिएं धनिए का पानी
धनिए के बीज के दानों को रात में पानी में भिगो दें और सुबह उन्हें छान लें। खाली पेट इसका सेवन करें, धनिए के पानी का सेवन वाइट डिस्चार्ज का अच्छा आसान उपचार है।
कसरत करें
व्हाइट डिस्चार्ज के पीछे कई सारे कारण होते हैं जिसमें से एक है विटामिन डी की कमी। विटामिन डी की कमी शरीर में पूरा करने के लिए आप रोज सुबह वॉक करें। कसरत भी होदी और विटामिन डी भी शरीर को मिलेगा। इसके अलावा आपको व्हाइट डिस्चार्ज की समस्या को दूर करने के लिए रोजन कसरत, मेडिटेशन करना चाहिए। लेकिन इंटेंस वर्कआउट करने से बचें।
पीरियड्स में पैड बदलती रहें
आपको पीरियड्स में हाइजीन बरकरार रखने से भी व्हाइट डिस्चार्ज से राहत मिल सकती हैं। पीरियड्स के दौरान एक ही पैड को ज्यादे लंबे समय तक इस्तेमाल ना करें। कॉटन पैंटी पहनें। साफ अंडरवियर पहवें। इन बातों का ख्याल रखेंगी तो इंफेक्शन को दूर करने में मदद मिलेगी।
रोजाना 2 से 3 लीटर पानी पिएं
पानी का सेवन करने से व्हाइट डिस्चार्ज की समस्या को कम किया जा सकता है। आपको रोजाना 10 से 12 गिलास पानी पीना चाहिए। ये मात्रा 2 से 3 लीटर के बराबर होता है। इसके अलावा संतुलित आहार लें, मेडिटेशन करें। एक से ज्यादा पार्टनक के साथ संबंध बनाने से भी ये समस्या बढ़ सकती है इसलिए एहतियत बरतें।