इंफोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष और इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति राज्यसभा में अपने पहले भाषण को लेकर चर्चा में आ गई है। सुधा मूर्ति ने मंगलवार को राज्यसभा में मांग की कि कोविड काल में जिस तरह टीकाकरण अभियान चलाया गया था उसी तरह महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर से बचाने के लिए टीकाकरण अभियान चलाया जाना चाहिए क्योंकि आधी आबादी में इस बीमारी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। उनकी इस मांग का देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी समर्थन करते हुए उनका धन्यवाद किया है।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर उच्च सदन में हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए सुधा मूर्ति ने कहा कि महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इससे बचाव के लिए किशोरावस्था में इसके टीके लगाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। उन्होंने कहा- ‘‘हमारी सामाजिक व्यवस्था ऐसी है जिसमें महिलाएं अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पातीं। जब वे अस्पताल पहुंचती हैं तो उनमें सर्वाइकल कैंसर तीसरे या चौथे स्टेज पर होता है। उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है।''
सुधा मूर्ति ने कहा- मेरे पिता कहते थे कि महिलाएं परिवार का केंद्र होती हैं और महिला के निधन के बाद पति को तो दूसरी पत्नी मिल जाती है लेकिन बच्चों को दूसरी मां नहीं मिलती। सुधा मूर्ति ने कहा कि कोविड काल में जब व्यापक टीकाकरण अभियान चलाया गया तो महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर से बचाने के लिए अभियान क्यों नहीं चलाया जा सकता। अगर सरकार हस्तक्षेप करे तो यह महंगा भी नहीं होगा। इससे बड़ी आबादी को लाभ होगा।''
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलते हुए राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि- मैं महिलाओं से जुड़े अहम मुद्दे सदन में उठाने के लिए इंफोसिस फाउंडेशन की पूर्व चेयरपर्सन सुधा मूर्ति का धन्यवाद करता हूं। उनकी यह बात सुन राज्यसभा सांसद ने हाथ जोड़कर उनका शुक्रिया अदा किया।
सर्वाइकल कैंसर का तेजी से शिकार हो रही महिलाएं
एचपीवी (HPV) सूचना केंद्र की 2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में, सर्वाइकल कैंसर 15 से 44 वर्ष की भारतीय महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है। लगभग 5 प्रतिशत यानी, 2,56,114 भारतीय महिलाएं किसी भी समय ह्यूमन पेपिलोमावायरस (HPV) से पीड़ित रहती हैं। डब्ल्यूएचओ (WHO) के अनुसार, सर्वाइकल कैंसर एचपीवी (HPV) संक्रमण के कारण होता है।
इन लक्षणों पर करें गौर
इस कैंसर के लक्षणों की बात करें तो बीमारी के लक्षण आखिर तक पहचानने मुश्किल हो जाते हैं। यह बीमारी सालों साल छिपी रहती है। भारत में खासकर तीसरी या चौथी स्टेज पर जाकर महिलाओं में यह डिटेक्ट हो पाता है। तब तक काफी देर हो चुकी होती है और अधिकांश महिलाएं जान गंवा देती हैं। वहीं शरीर में हुए कुछ बदलावों से इसे पहचाना जा सकता है।
जैसे यूरीन पास करते दर्द होना या बार बार यूरिन आना।
यूरिन पर कंट्रोल नहीं रहना और ब्लड आना।
इंटरकोर्स के समय दर्द होना।
पीठ और पेल्विक हिस्से में दर्द ।
सर्वाइकल कैंसर का इलाज
एचपीवी वैक्सीनेशन और रेगुलर स्क्रीनिंग से काफी हद तक इस कैंसर से बचाव संभव है। लेकिन एचपीवी वैक्सीन के काफी महंगी होने के चलते हर भारती महिला के लिए इसे खरीदना संभव नहीं है। बड़ी- बड़ी फार्मा द्वारा बनाई इस वैक्सीन को 2,000-4,000 रुपये तक की कीमत में बेचा जा रहा है। हालांकि अब 1 फरवरी को अंतरिम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देशभर में 9-14 साल की बच्चियों को निशुल्क सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन लगवाने का भी बड़ा फैसला लिया है, जिससे ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को जागरूकता तो होगी ही साथ में इस कैंसर से बचाव भी मुमकिन होगा।