02 NOVSATURDAY2024 5:54:25 PM
Nari

Vivah Panchmi के मौके पर जरुर सुनें भगवान श्रीराम - सीता माता की विवाह कथा, बढ़ेगा पति-पत्नी में प्रेम

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 28 Nov, 2022 10:34 AM
Vivah Panchmi के मौके पर जरुर सुनें भगवान श्रीराम - सीता माता की विवाह कथा, बढ़ेगा पति-पत्नी में प्रेम

आज 28 नवंबर, सोमवार को विवाह पंचमी है। हिंदू धर्म में विवाह पंचमी का बहुत महत्व है। ऐसी मान्यता है कि आज के ही दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था और इसी आस्ठा के चलते विवाह पंचमी पर्व मनाया जाता है।  इस मौके पर भगवान राम और माता सीता के मंदिरों में भव्य आयोजन किए जाते हैं। विधि-विधान के साथ प्रभु राम और माता सीता का पूजन किया जाता है। इस साल विवाह पंचमी का शुभ मुहूर्त 27 नवंबर 2022 को शाम 4 बजकर 25 मिनट से लेकर 28 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। साथ ही इस दिन भगवान राम और माता सीता के विवाह की कथा पढ़ने का विशेष महत्व माना गया है। कहा जाता है इस पूजा से पति-पत्नी में प्रेम बढ़ता है।आईए जानते हैं भगवान श्रीराम और सीता माता के विवाह की कथा।

PunjabKesari

माता सीता और भगवान राम के विवाह की कथा

प्रचलित कथाओं के अनुसार, एक बार राजा जनक हल चला रहे थे, उस समय उन्हें धरती से एक कन्या की प्राप्ति हुई इस कन्या का नाम ही उन्होंने सीता रखा। राजा जनक देवी सीता को बेटी के रूप में पाकर बहुत खुश  हुए और बहुत ही प्यार के साथ उन्होंने माता सीता का पालन-पोषण किया। 

एक बार माता सीता ने भगवान शिव का धनुष उठा लिया। इस धनुष को उठाने का सामर्थ्य परशुराम जी के अलावा किसी और में नहीं था। ये देख राजा जनक समझ गए कि ये कोई साधारण लड़की नहीं है और उन्होंने उसी समय ठान लिया कि जो भी शिव जी के इस धनुष को उठा लेगा उसी के साथ वे अपनी बेटी सीता का विवाह करेंगे।

जब सीता माता विवाह के योग्य हुई तो राजा जनक ने उनके लिए स्वयंवर रखा और यह घोषणा कर दी कि जो भी इस धनुष को उठाकर प्रत्युंचा चढ़ा देगा वे उसी के साथ अपनी बेटी सीता का विवाह करेंगे। महर्षि वशिष्ठ के साथ भगवान राम और लक्ष्मण भी स्वयंवर में उपस्थित थे। 

PunjabKesari

स्वयंवर आरंभ होने के बाद कोई भी उस धनुष को उठा नहीं पाया तो राजा जनक बहुत निराश हुए और बोले कि क्या कोई भी ऐसा नहीं है जो मेरी बेटी के योग्य हो। तब महर्षि वशिष्ठ ने भगवान राम को शिव जी के धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने की कहा। जिसके बाद भगवान राम शिव जी के धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने लगे और धनुष टूट गया। तब राजा जनक ने श्री राम जी से सीता का विवाह करा दिया। इस तरह माता सीता और भगवान राम का विवाह हो गया। 


 

Related News