मां-बाप बनना काफी चुनौती व जिम्मेदारी से भरा काम होता है। ऐसे में इस दौरान पेरेंट्स को बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है। ताकि बच्चे की परविश सही से हो पाएं। मगर कई पेरेंट्स बच्चों को परफेक्ट बनाने के चक्कर में उनपर बेहद ही बोझ डाल देते हैं। इसके कारण उनके व बच्चों के रिश्ते में खटास आने लगती है। मगर बच्चे तो कोमल दिल के होते हैं। इसलिए इनकी परविश में कुछ खास बातों का ध्यान रखने की जरूरत होती है। ऐसे में आज हम आपको पेरेंटिंग के कुछ गोल्डन रूल्स बताते हैं। इसकी मदद से आप बच्चों के साथ बेहतर और खुशहाल बॉडिंग बान सकते हैं।
मल्टी-टास्कर बनने की करें कोशिश
पेरेंट्स बनने के बाद मां-बाप को मल्टी-टास्कर बनने की जरूरत होती है। इस दौरान पेरेंट्स को पूरी जिम्मेदारी के साथ बच्चे की परवरिश करनी पड़ती है। इसलिए अपना काम जल्दी से खत्म करने की करें। ताकि आप बच्चे की ओर ज्यादा ध्यान दे सके। इसके लिए आपको शुरू-शुरू में ज्यादा मेहनत करनी पड़ सकती है। आप चाहे तो हर काम के लिए प्लानिंग कर सकती है। साथ ही सभी कामों को एक-दूसरे के साथ बांट लें।
मदद लेने पर शर्म ना करें
पेरेंटिंग एक समझदारी भरा काम है। इसमें जिद्द व गुस्सा करने से बचना चाहिए। वहीं हर बार बच्चे के सामने खुद को आत्मनिर्भर दिखाने की कोशिश भी ना करें। इससे आपके बच्चे आपका रिश्ता खराब होने का खतरा रहता है। इसकी जगह पर जरूरत पड़ने पर बच्चों से उनकी मदद लें। आप किचन या घर के अन्य कामों में उनकी मदद ले सकते हैं। इससे आपके बच्चे समझदार व जिम्मेदार बनेंगे। साथ ही आपका काम भी जल्दी हो जाएगा। इसलिए कभी भी बच्चे से मदद लेने से हिचकिचाहट महसूस ना करें।
साथ में टाइम स्पेंड करें
आप भले ही बेहद बिजी हो। मगर रोजाना कुछ समय निकालकर बच्चों के साथ बिताएं। आप रात का भोजन एक साथ खा सकते हैं। इसके अलावा कभी-कभाव समय निकालकर बच्चों को घूमाने लेकर जा सकते हैं। साथ ही उस समय पूरा ध्यान बच्चे पर ही दें। आप बच्चों के साथ गेम खेल सकते हैं। इसके अलावा उन्हें कहानियां सुना सकते हैं। इससे आपके बच्चों को अच्छा लगेगा। साथ ही वे आपके ज्यादा करीब आएंगे।
खुद के स्वभाव में भी लाएं सुधार
अगर आप बच्चों के साथ ज्यादा गुस्से से बात करते हैं अपनी आदत बदलें। इससे आपका बच्चा आपके साथ अच्छे से घुल-मिल नहीं पाएगा। इसके लिए अपनी जुबान पर कंट्रोल रखें। बच्चे साथ प्यार व सम्मान से बात करें। इसके अलावा बच्चा अपने पेरेंट्स को देखकर ही सीखता है। इसलिए अगर अपने काम के प्रति समर्पित होंगे तो वे भी हर कार्य को ध्यान व मन से करेगा। इसके साथ बच्चों को दूसरों की मदद व अच्छे से बात करना सीखाएं। इसके लिएहो सकता है कि आपको अपने नेचर में भी कुछ बदलाव करने पड़े।