कथक गुरु पद्मश्री शोवना नारायण जी अपने नृत्य से हमेशा ही हर किसी का मन मोह लेती हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी असावरी रिपर्टरी के साथ एक अद्वितीय नृत्य "ओम" प्रस्तुत किया। यह डांस फोर्म उप-चेतना के विभिन्न स्तरों व ब्रह्मांडीय ध्वनि का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें एक ध्वनि जो भगवान के सर्वोच्च व्यक्तित्व यानी परब्रह्म का प्रतीक है। उन्होंने इंडिया हैबिटेट सेंटर में नृत्य प्रस्तुत किया गया, जो किसी के दिल को छू गया।
बता दें कि इस कार्यक्रम में मंत्री मीनाक्षी लेखी, थिएटर एक्टर सुनीत टंडन, नीलम प्रताप रूडी, शास्त्रीय नृत्यांगना संगीता भुइयां मेहता, अरुणा वासुदेव प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित थी। वहीं इस कार्यक्रम में भारतीय आलोचक, लेखक, संपादक, चित्रकार, वृत्तचित्र निर्माता और एशियाई पर एक प्रख्यात विद्वान भी शामिल हुए थे।
नृत्य उत्पादन को गुरु पदमश्री शोवना नारायण और शैलजा नलवाडे द्वारा कोरियोग्राफ किया गया था। वहीं, इसकी अवधारणा (conceptualized ) वाइस एडमिरल (सेवानिवृत्त) डॉ सनातन कुलश्रेष्ठ ने की थी। वेदों के सार में यह डांस फोर्म हिंदुओं द्वारा विश्वास की शक्ति को प्रदर्शित करता है, जो ओम् शब्द में निहित एक ब्रह्मांडीय ध्वनि है। ओम् भगवान यानी परब्रह्म के सर्वोच्च व्यक्तित्व का प्रतीक है। यह प्राण या जीवन श्वास का प्रतीक है जो परब्रह्म द्वारा दिए गए शरीर के माध्यम से चलता है। इसकी गूंज में, A की ध्वनि व्यक्ति के भीतर सत्व या सद्भाव को बढ़ाती है और हमें स्थानांतर या पुनर्जन्म के सागर के पार ले जाती है।
यह पवित्र ध्वनि अंततः तुरीय अवस्था की ओर ले जाती है जो कारण और प्रभाव से परे है। यह योग की निर्गुण समाधि है। वेदांत के दृष्टिकोण से ओम् शब्द पृथ्वी, वायुमंडल और स्वर्ग का प्रतीक है। एक घंटे के नृत्य निर्माण में 4 खंड जागृति, चेतना, अहसास, आकांक्षा और सातत्य शामिल थे।