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गर्दन पर हंप (गांठ) क्यों बनती है? जानें इसके कारण और बिना सर्जरी से छुटकारा पाने के उपाय

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 16 Nov, 2024 12:41 PM
गर्दन पर हंप (गांठ) क्यों बनती है? जानें इसके कारण और बिना सर्जरी से छुटकारा पाने के उपाय

नारी डेस्क: आपने देखा होगा कि कुछ लोगों की गर्दन के पीछे एक गांठ जैसी उभार होती है, जिसे "नेक हंप" या "बफेलो हंप" कहा जाता है। यह समस्या सामान्य है, लेकिन इसके होने के कई कारण हो सकते हैं। चलिए, जानते हैं कि यह गांठ क्यों बनती है और इससे कैसे राहत पाई जा सकती है।

नेक हंप क्या है?

नेक हंप एक ऐसी समस्या है, जिसमें गर्दन के निचले हिस्से में कड़ी और मोटी सी गांठ बन जाती है, जो दोनों कंधों के बीच दिखाई देती है। यह मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी के पास उभरती है और इसे "कूबड़" भी कहा जाता है। जब किसी व्यक्ति की गर्दन झुकी हुई होती है या वह गलत तरीके से बैठता है, तो यह समस्या हो सकती है। यह समस्या आमतौर पर खराब जीवनशैली, गलत मुद्रा, अधिक वजन, या हार्मोनल असंतुलन के कारण होती है।

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गर्दन में हंप बनने के कारण

गलत पोश्चर (Posture) में सोना

गर्दन की गांठ बनने का सबसे सामान्य कारण गलत तरीके से सोना है। यदि आप सोते समय अपनी गर्दन को झुका कर या घुमा कर सोते हैं, तो इससे गर्दन में असंतुलन और तनाव बढ़ सकता है। यह तनाव मांसपेशियों में कसाव और सूजन का कारण बनता है, जिसके कारण गर्दन में गांठ बन सकती है। लंबे समय तक गलत पोश्चर में सोने से हंप की समस्या और भी गंभीर हो सकती है, क्योंकि यह रीढ़ की हड्डी और गर्दन की मांसपेशियों पर अतिरिक्त दबाव डालता है। इसलिए, सही तकिए का इस्तेमाल करना और सोने की सही मुद्रा अपनाना बहुत जरूरी है।

ज्यादा वजन होना

वजन का बढ़ना गर्दन के हंप के विकास में भी योगदान कर सकता है। जब शरीर में अतिरिक्त फैट जमा होता है, खासकर गर्दन और कंधे के आसपास, तो यह दबाव बनाता है और मांसपेशियों को कमजोर करता है। यह स्थिति गर्दन के निचले हिस्से में हंप या गांठ को उत्पन्न कर सकती है। अतिरिक्त वजन के कारण रीढ़ पर दबाव बढ़ता है, जो बदले में गलत पोश्चर और गर्दन की समस्या का कारण बनता है। वजन नियंत्रित करने के लिए सही आहार और नियमित व्यायाम करना आवश्यक है, ताकि हंप की समस्या से बचा जा सके।

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हार्मोनल असंतुलन

हार्मोनल असंतुलन भी गर्दन की गांठ बनने के मुख्य कारणों में से एक हो सकता है। यह विशेष रूप से महिलाओं में देखा जाता है, खासकर मेनोपॉज के दौरान, जब शरीर में हार्मोन का स्तर बदलता है। हार्मोनल बदलाव से मांसपेशियां और फैट का वितरण प्रभावित होता है, जिससे गर्दन के निचले हिस्से में हंप की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा, गर्भावस्था और थायरॉयड समस्याएं भी हार्मोनल असंतुलन के कारण गर्दन में गांठ बना सकती हैं। इन स्थितियों में, एक डॉक्टर से सलाह लेकर उचित उपचार और प्रबंधन करना जरूरी है।

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ज्यादा स्ट्रेस लेना

मानसिक तनाव (स्ट्रेस) भी गर्दन में गांठ बनने का एक बड़ा कारण हो सकता है। जब हम मानसिक रूप से तनाव में रहते हैं, तो हमारे शरीर की मांसपेशियां तनावपूर्ण हो जाती हैं। खासकर गर्दन और कंधे की मांसपेशियां इस तनाव से अधिक प्रभावित होती हैं, जिससे गर्दन में दर्द और गांठ बनने की संभावना बढ़ जाती है। लंबे समय तक मानसिक तनाव में रहने से न केवल गर्दन बल्कि पूरे शरीर की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है, जिससे हंप की समस्या और बढ़ सकती है। तनाव को कम करने के लिए ध्यान, प्राणायाम, और विश्राम तकनीकों का अभ्यास किया जा सकता है।

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नेक हंप से राहत पाने के उपाय

योग का सहारा लें

योगासन जैसे भुजंगासन और मार्जरी आसन गर्दन और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए बहुत फायदेमंद हैं। ये आसन रीढ़ की हड्डी को सीधा करते हैं और शरीर के पोश्चर को सुधारते हैं। इन आसनों से न केवल गर्दन की मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं, बल्कि हंप को कम करने में भी मदद मिलती है। नियमित योग अभ्यास से शरीर की लचीलापन बढ़ती है और गर्दन में तनाव कम होता है, जिससे हंप की समस्या का इलाज किया जा सकता है।

मालिश करें

गर्दन और कंधों पर गर्म तेल की मालिश से मांसपेशियां शिथिल होती हैं और रक्त संचार बेहतर होता है। हफ्ते में 2-3 बार मालिश करने से गर्दन के आसपास की गांठों को कम किया जा सकता है। यह एक बहुत प्रभावी तरीका है, जो तनाव को कम करता है और हंप की समस्या से राहत दिलाता है। आप गर्म सरसों या नारियल तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि ये तेल मांसपेशियों को आराम देने के साथ-साथ सूजन भी कम करते हैं।

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हॉट और कोल्ड पैक

गर्दन और कंधों की सिकाई से भी हंप को कम किया जा सकता है। गर्म पैक से मांसपेशियों में खिंचाव को राहत मिलती है और रक्त प्रवाह बेहतर होता है, जबकि ठंडे पैक से सूजन और दर्द में आराम मिलता है। इस उपाय को दिन में 2-3 बार करें, जिससे गर्दन के आसपास की मांसपेशियों को राहत मिले और हंप की समस्या में कमी आए।

वेट मैनेजमेंट (वजन नियंत्रण)

गर्दन में हंप की समस्या से बचने के लिए अपने वजन को नियंत्रित रखना बहुत जरूरी है। अतिरिक्त वजन से गर्दन पर दबाव बढ़ता है, जिससे हंप की समस्या उत्पन्न होती है। संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से आप अपना वजन नियंत्रित कर सकते हैं। इसके अलावा, फैटी और उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों से बचें और हल्का भोजन करें। हफ्ते में 3-4 बार शारीरिक गतिविधि करें, जैसे चलना, दौड़ना, तैराकी आदि।

स्वस्थ आहार अपनाएं

कम फैट और प्रोटीन युक्त आहार से न केवल वजन नियंत्रित रहता है, बल्कि मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं। हरी सब्जियां, फल, और पर्याप्त पानी का सेवन करें। इनसे शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी पूरी होती है और मांसपेशियां स्वस्थ रहती हैं। इसके साथ ही, फैटी खाद्य पदार्थों से बचें और अपने आहार में ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें, जैसे मछली, अखरोट, और फ्लैक्ससीड। इससे शरीर में सूजन कम होती है और हंप की समस्या पर काबू पाया जा सकता है।

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गर्दन में हंप बनने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सही जीवनशैली और घरेलू उपायों से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। अगर आप नियमित योग, मालिश, वेट मैनेजमेंट, और सही आहार अपनाते हैं, तो आप बिना सर्जरी के इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं और अपनी गर्दन की सेहत में सुधार कर सकते हैं।

 

 

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