कोरोना नाम का तूफान बेशक थोड़ा शांत हो गया है। लेकिन इसने कुछ लोगों को ऐसा दर्द दे दिया है, जिससे उभर पाने में सालों लग जाएंगे। वायरस ने सिर्फ शरीर पर ही नहीं बल्कि दिमाग पर भी हमला किया है। कोरोना के चलते चिंता, डर, अकेलेपन और अनिश्चितता का माहौल बन गया, जिसका असर सीधा रिश्तों पर पड़ रहा है। तभी तो तलाक के मामले 3 गुना बढ़ गए हैं।
लॉकडाउन ने खत्म किया रिश्ता
कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन ने एक कपल के रिश्ते को हमेशा- हमेशा के लिए ही खत्म कर दिया। दो साल पहले नीना टंडन (बदला हुआ नाम) अपने पति को बेंगलुरु को छोड़कर अपनी बीमार मां की देखभाल के लिए दिल्ली चली गई। लॉकडाउन के चलते वह वापिस नहीं जा सकी। पिछले दो सालों में लंबी दूरी, काम पर बढ़ता तनाव, बूढ़े मां-बाप की जिम्मेदारियां और एक-दूसरे से अधूरी उम्मीदों के कारण इनके रिश्ते में खटास आ गई।
तलाक के मामलों में 50-60% की वृद्धि
इन दोनों के बीच दूरी इतनी बढ़ गई कि इन्हे लगा तलाक ही एक आखिरी रास्ता है। इस तरह के कई मामले दुनिया भर से सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो महामारी के बाद घरेलू मोर्चे पर तनाव बढ़ा है, और चिंता और अनिश्चितता के चलते तलाक के मामलों की संख्या में उछाल आ रहा है। वकीलों और कानूनी परामर्श फर्मों के अनुसार, पिछले एक साल में तलाक के मामलों में 50-60% की वृद्धि हुई है।
लोगों में बर्दाश्त करने की क्षमता हुई कम
विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना के बाद लोगों की बर्दाश्त करने की क्षमता कम हो गई है, जिससे उन्हें अब जल्दी गुस्सा आने लगा है। इसकी वजह से उनमें डिप्रेशन, उलझन और घबराहट के लक्षण मिल रहे हैं। नौकरी और पैसों की चिंता की वजह से लोग तनाव में हैं और इसी कारण रिश्तों पर खतरा मंडरा रहा है।
पिछले एक साल में तलाक के बढ़े मामले
मुंबई में फैमिली कोर्ट में वकालत करने वाली इशिका तोलानी का कहना है कि पिछले एक साल में तलाक की याचिका दायर करने में 50% की वृद्धि देखी है। तलाक लेने के मुख्य कारण बेवफाई, धोखाधड़ी, पैसों की तंगी और कपल के बीच शारीरिक अंतरंगता की कमी है। इस तरह के मुद्दे पहले भी बने रहे लेकिन अब लोगों में सहन करने की शक्ति नहीं रही है।
आर्थिक तंगी भी है तलाक का कारण
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का भी कहना है महामारी के बाद मानसिक स्वास्थ्य विकारों में भी 30-40% की वृद्धि हुई है, जिससे लोगों के लिए रिश्ते में समझौता करना और भी कठिन हो जाता है। इसके अलावा ऐसी महिलाओं की संख्या भी बढ़ रही है जो अपमानजनक, दुखी विवाह में फंसना नहीं चाहती हैं। घर गृहस्थी टूटने का मुख्य कारण आर्थिक तंगी भी है। मूलभूत आवश्यकताएं तेजी से महंगी हो रही हैं। वेतन सीमित है जबकि जरूरतें बढ़ती जा रही हैं।बढ़ता तनाव तलाक के मामलों में इजाफा कर रहा है।