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World Earth Day: बढ़ते प्रदूषण को लेकर परेशान है ग्रेथा, महज 16 साल की उम्र में चलाई सुरक्षा मुहिम

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 22 Apr, 2019 10:19 AM
World Earth Day: बढ़ते प्रदूषण को लेकर परेशान है ग्रेथा, महज 16 साल की उम्र में चलाई सुरक्षा मुहिम

पर्यावरण संरक्षण एक ऐसा मुद्दा है, जिसको लेकर आज पूरा विश्व चिंतित है। वैसे तो पर्यावरण को लेकर हर देश अपने स्तर पर जागरूकता फैलाने का प्रयास करता रहा है लेकिन पहली बार ऐसा हो रहा है कि पर्यावरण को बचाने के लिए विश्व भर के करीब 1,500 से अधिक शहरों के स्कूली छात्र हड़ताल करेंगे। मगर क्या आप जानते हैं कि यह मुमकिन कैसे हुआ। आपको बता दें कि इस हड़ताल की वजह के पीछे एक 16 वर्षीय छात्रा है, जिसका नाम ग्रेटा थनबर्ग है।

 

पर्यावरण को लेकर परेशान है ग्रेथा

स्वीडन की ग्रेटा पर्यावरण के लिए बहुत परेशान है। उसके अनुसार जलवायु परिवर्तन के खिलाफ उठाए कदम पर्यावरण को बचाने के लिए काफी नहीं है, जिसके बाद ग्रेथा ने खुद पर्यावरण को बचाने के लिए जागरूकता फैलाने का फैसला किया।

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भारतीय PM की पर्यावरण सुरक्षा की मांग

स्वीडन में रहने वाली ग्रेथा एक क्लाइमेट एक्टिविस्ट (जलवायु कार्यकर्ता) हैं, जिन्होंने भारत के प्रधानमंत्री मोदी से पर्यावरण सुरक्षा के लिए गंभीर कदम उठाने की मांग की है। उसका कहना है कि अगर आप ऐसा करने में नाकामयाब साबित हुए तो मानव इतिहास में आपको एक बड़े खलनायक के रूप में देखा जाएगा। उन्होंने दुनियाभर के राष्ट्राध्यक्षों के नाम अलग-अलग वीडियो मैसेज जारी करते जलवायु परिवर्तन को लेकर कुछ गंभीर कदम उठाने के लिए कहा है।

 

मोदी के नाम संदेश में ये बोली लड़की

प्रधानमंत्री मोदी के नाम जारी किए संदेश में ग्रेथा ने कहा, 'प्रिय श्रीमान मोदी, जलवायु परिवर्तन की समस्या को लेकर अब सिर्फ बात करने से काम नहीं चलेगा, बल्कि अब आपको इस बारे में कोई ठोस कदम उठाना ही होगा क्योंकि अगर आप पहले की तरह चलते रहे तो आप नाकाम होने जा रहे हैं। अगर आप फेल हुए तो मानव इतिहास के भविष्य में आपको एक बहुत बड़े खलनायक के रूप में याद रखा जाएगा और आप ऐसा नहीं करना चाहेंगे।'

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स्वीडिश संसद के सामने की थी हड़ताल

ग्रेटा ने अगस्त 2018 में अपने पर्यावरण हड़ताल अभियान की बदौलत दुनियाभर का ध्यान अपनी ओर खींचा। क्लाइमेट चेंज के विरोध के लिए वह ना सिर्फ स्वीडिश संसद के सामने घरने पर बैठी बल्कि उन्होंने स्कूल जाना बंद कर दिया था। इतना ही नहीं, हजारों स्कूल के बच्चों ने उसके सपोर्ट में स्कूल जाना बंद कर दिया था। बता दें कि ग्रेटा ने इस मुहिम को #FridaysForFuture और #SchoolsStrike4Climate नाम से शुरू किया।

 

इस भाषण से हुई थी दुनियाभर में फेमस

दिसंबर 2018 में पौलेंड में हुई UN क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस में दिए अपने तीखे भाषण के बाद ग्रेटा जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई का बड़ा चेहरा बनकर उभरी थी। वहां दिए भाषण में उसने कहा था कि हमें धरती के नीचे मौजूद तेल और खनिज भंडारों को बचाने की जरूरत है, साथ ही दुनिया में समानता लाने पर ध्यान देने की जरूरत है।

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नोबल पुरस्कार के लिए हुई नॉमिनेट

आज पूरे विश्व में अपनी पहचान बना लेने वाली ग्रेटा को नार्वे के 3 सांसदों द्वारा 'नोबेल शांति पुरस्कार' के लिए नॉमिनेट किया गया है। संसदीय प्रतिनिधि का कहना है, 'हमने ग्रेटा को नामांकित इसलिए किया है क्योंकि जलवायु का खतरा, युद्ध और संघर्ष के सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक हो सकता है।'

 

पर्यावरण पर दिए कई इंस्पायर्ड भाषण

पिछले वर्ष 2018 में ग्रेटा को पर्यावरण के मुद्दे पर बोलने के लिए TEDx Stockholm में वक्ता के रूप में भी बुलाया गया। साथ ही दिसंबर में ग्रेटा संयुक्त राष्ट्र की क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस में भी बुलाया गया। ग्रेटा के विचारों से प्रभावित होकर उन्हें 2019 में दावोस में हुई वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम में भी आमंत्रित किया गया था। जहां पर उनके भाषण को सुनकर लोग हैरान रह गए थे। ग्रेटा को अपनी इन्हीं बातों के कारण टाइम मैगजीन द्वारा वर्ष 2018 की सबसे प्रभावशाली किशोरी के तौर पर शामिल किया था।

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