नारी डेस्क: बॉलीवुड में साधना को एक ऐसी अभिनेत्री के तौर पर याद किया जाता है अपनी विशिष्ट अदायगी से सिनेप्रेमियों को अपना दीवाना बनाया, साथ हीं वह अपने बालों की स्टाइल ‘साधना कट' की वजह से भी प्रसिद्ध थीं। जन्मदिवस के मौके पर जानते है उनकी जिंदगी से जुड़ी दिलचस्प बातें और हिंदी सिनेमा में उनका कितना रहा योगदान।
बचपन में ही मिला फिल्म में काम करने का मौका
साधना का जन्म 02 सितंबर 1941 को करांची पाकिस्तान तब ब्रिटिश इंडिया में हुआ था। साधना का नाम उनके पिता ने अपने समय की पसंदीदा अभिनेत्री साधना बोस के नाम पर रखा था। वर्ष 1958 में उनको सिंधीफिल्म अबाणा में काम करने का मौक़ा मिला जिसमें उन्होंने अभिनेत्री शीला रमानी की छोटी बहन की भूमिका निभाई थी और इस फिल्म के लिए इन्हें एक रुपए की टोकन राशि का भुगतान किया गया था।
हेयरस्टाइल के पीछे की कहानी
साधना की वजह से ही आज भी फेमस है साधना कट, लेकिन इस हेयरस्टाइल के पीछे की वजह बहुत कम लोग जानते हैं। दरअसल, साधना ने जब फिल्मों में काम तलाशना शुरू किया तो उन्हें कई बार उनके बड़े माथे की वजह से निर्देशकों ने काम देने से मना कर दिया। उन्हें जब फिल्मेकर सशाधर मुखर्जी ने अपनी फिल्म में काम दिया तो उन्होंने साधना को हेयरस्टाइल बदलने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि हेयरस्टाइल ऐसी होनी चाहिए जो उनका बड़ा माथा छुपा दे। तब साधना ने अपनी कमजोरी छिपाने के लिए ये हेयरस्टाइल बनाया था। उस हेयरकट का नाम ही साधना हेयरस्टाइल रख दिया गया।
इस फिल्म के बाद बदली किस्मत
बॉलवुड में साधना ने अपने करियर की शुरूआत वर्ष 1960 में प्रदर्शित फिल्म लव इन शिमला से की। फिल्म के सेट पर उन्हें फिल्म के निर्देशक आर.के.नैय्यर से प्रेम हो गया और बाद में उन्होंने उनसे शादी कर ली। वर्ष 1961 में प्रदर्शित फिल्म हम दोनो साधना के करियर की एक और सुपरहिट फिल्म साबित हुई।
गले में दुपट्टा बांधने का चलाया फैशन
वर्ष 1965 में प्रदर्शित फिल्म वक्त साधना के करियर की एक और सुपरहिट फिल्म साबित हुईं। इस फिल्म के लिये भी उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिये नामांमित किया गया। इस बीच साधना बीमार रहने लगी। बीमारी को छिपाने के लिए उन्होंने अपने गले में पट्टी बंधी अक्सर गले में दुपट्टा बांध लेती थी, यही साधना आइकन बन गया था और उस दौर की लड़कियों ने इसे भी फैशन के रूप में लिया था। इन सबके बीच साधना ने राजकुमार, आरजू, मेरा साया, इंतकाम , एक फूल दो माली जैसी कुछ सफल फिल्मों में काम किया। हिंदी सिनेमा में योगदान के लिए, अंतररष्ट्रीय भारतीय फ़ल्मि अकादमी (आईफा) द्धारा साधना को 2002 में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से समानित भी किया गया।अपनी विशिष्ट अदायगी से दर्शकों के दिलों पर खास पहचान बनाने वाली साधना 25 दिसंबर 2015 को दुनिया को अलविदा कहा गयी।