नारी डेस्क: राधारानी के परम भक्त और वृंदावन वाले प्रेमानंद जी महाराज को किसी पहचान की जरूरत नहीं है। उन्होंने अपना पूरा जीवन श्री राधारानी की सेवा और भक्ति में लगाया दिया है और उनकी भक्ति की गहराई ने उन्हें श्री राधा के अद्वितीय भक्तों में शामिल कर दिया है। उनके जीवन की यात्रा, साधना, और राधा रानी के प्रति उनकी भक्ति की कहानी प्रेरणादायक है।
प्रेमानंद जी महाराज का जीवन और भक्त
प्रेमानंद जी का जन्म भारत के एक साधारण परिवार में हुआ था, और उनके जीवन के प्रारंभिक वर्षों में ही उनका ध्यान भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की भक्ति की ओर आकर्षित हो गया था। बाल्यकाल से ही वे धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में रूचि रखते थे और धीरे-धीरे उन्होंने भक्ति मार्ग को अपनाया। प्रेमानंद जी ने राधा रानी को सिर्फ एक देवी के रूप में नहीं, बल्कि अपने जीवन के सर्वस्व के रूप में पूजा। उनका मानना है कि राधा रानी ही भगवान श्रीकृष्ण की परम शक्ति और प्रेम की मूर्ति हैं। उनके अनुसार, राधा रानी की कृपा के बिना श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त नहीं की जा सकती।
गुरु की कृपा और दीक्षा
प्रेमानंद जी ने अपने जीवन में एक महान संत को गुरु के रूप में स्वीकार किया, जिन्होंने उन्हें राधा रानी की भक्ति का मार्ग दिखाया। गुरु की दीक्षा और मार्गदर्शन से उनका भक्ति मार्ग और भी प्रगाढ़ हुआ। उन्होंने अपने गुरु की सेवा में रहते हुए राधा रानी की अनन्य भक्ति की साधना की। प्रेमानंद जी महाराज ने भजन, कीर्तन, और राधा रानी की महिमा का प्रचार-प्रसार अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया था। उनकी भजनावली और कीर्तन इतने भावपूर्ण होते थे कि उन्हें सुनने वाले श्रोताओं के मन में भी भक्ति की ज्योति प्रज्वलित हो जाती थी। वे अपने भजनों में राधा रानी के प्रति अपनी असीम श्रद्धा और प्रेम व्यक्त करते थे।
वृंदावन में साधना
प्रेमानंद जी महाराज ने वृंदावन को अपना स्थायी निवास बनाया, क्योंकि यह राधा रानी और श्रीकृष्ण की लीलाओं की भूमि है। वृंदावन में उन्होंने गहन साधना और तपस्या की, और राधा रानी की कृपा प्राप्त करने के लिए अपने जीवन को तपस्वी और भक्तिमय बना लिया।प्रेमानंद जी ने राधा रानी और श्रीकृष्ण की लीलाओं का गहन अध्ययन और प्रचार किया। उनके प्रवचन और भजन श्रोताओं के मन में राधा रानी के प्रति गहरी भक्ति उत्पन्न करते थे। उनकी कथा और कीर्तन सुनकर लोग राधा रानी के प्रेम में डूब जाते थे। प्रेमानंद जी महाराज ने अपने अनुयायियों को यह संदेश दिया कि सच्ची भक्ति और प्रेम ही भगवान की कृपा प्राप्त करने का मार्ग है। उन्होंने भक्तों को यह सिखाया कि राधा रानी के प्रति अनन्य प्रेम और समर्पण से जीवन में शांति, आनंद और मोक्ष प्राप्त हो सकता है।
प्रेमानंद महाराज जी से कैसे मिलें?
अगर आप प्रेमानंद महाराज के दर्शन करना चाहते हैं, तो आपको रात करीब 2:30 बजे उनके आश्रम श्री राधाकेली कुंज के पास पहुंचना पड़ेगा। वह वह रोजाना अपने निवास स्थान से आश्रम पैदल चल कर आते हैं। प्रेमानंद महाराज का आश्रम इस्कॉन मंदिर के पास परिक्रमा रोड पर भक्तिवेदनता हॉस्पिटल के ठीक सामने है. हर रोज हजारों की संख्या में श्रद्धालु महाराज उनके दर्शन के लिए आते हैं। आश्रम में हर दिन सुबह 9:30 बजे महाराज के शिष्यों द्वारा अलग अलग टोकन प्रदान किए जाते है। इसी टोकन की मदद से अगले दिन महाराज के दर्शन होते हैं।
प्रेमानंद जी से कैसे पूछ सकते हैं प्रश्न?
अकेले में बातचीत करने के लिए आपको सुबह के 6:30 बजे आश्रम आना होता है। आप यहां तकरीबन एक घंटे तक प्रेमानंद जी से प्रश्न पूछ सकते हैं। एक टोकन आपको 7:30 बजे ले सकते हैं जहां आप महाराज जी को प्रणाम करके दर्शन कर सकते। यहां आप महाराज जी से एकांतिक वार्तालाप कर सकते हैं। बता दे कि उनसे मुलाकात करने के लिए आपको किसी भी प्रकार का कांटेक्ट नंबर नहीं मिलेगा, क्योंकि अभी तक महाराज जी से मुलाकात या फिर कांटेक्ट करने हेतु कोई भी सार्वजनिक नंबर जारी नहीं किया गया है।
प्रेमानंद जी महाराज से सीख
प्रेमानंद जी महाराज की भक्ति का केंद्र राधा रानी थीं, और उनके जीवन का हर पल राधा रानी की सेवा और प्रेम में समर्पित था। उनकी साधना, तपस्या, और भजन-कीर्तन ने उन्हें राधा रानी के सबसे बड़े भक्तों में से एक बना दिया। उनके जीवन से हमें यह सिखने को मिलता है कि जब हम किसी ईश्वर या देवी-देवता के प्रति सच्चे प्रेम और समर्पण से भक्ति करते हैं, तो वह हमें अपनी कृपा से जीवन की हर कठिनाई से पार कराते हैं और हमें मोक्ष के मार्ग पर ले जाते हैं।