कोरोना वायरस को जड़ से खत्म करने के लिए जहां वैक्सीनेशन शुरू किया जा चुका है वहीं इसे लेकर बड़े पैमाने पर शोध भी किए जा रहे हैं। वैज्ञानिक कोरोना के लिए नए-नए ड्रग भी विकसित कर रहे हैं, ताकि बीमारी से लड़ने में मदद मिले। इसी बीच माउंट सिनाई के इकोन स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक एंटी ड्रग बनाई है जो बीमारी के इलाज में कारगार साबित हो सकती है।
कोरोना के लिए बनी नई एंटीवायरल दवा
वैज्ञानिकों ने यह दवा समुद्री जीवों से बनाई है, जिसका परीक्षण मानव फेफड़ों पर सफल रहा। यह दवा प्लेटसिड्सिन SARS-CoV-2 की प्रतिकृति को रोकने में काफी प्रभावी थी, जो केविड-19 वायरस के कारण बनती है। प्री-क्लिनिकल ट्रायल के दौरान यह दवा रेविडेसिविर की तुलना में 28 गुना अधिक प्रभावी थी। फिलहाल FDA द्वारा अनुमोदित एंटीवायरल दवा से ही कोरोना मरीजों का इलाज किया जाता है। ऐसे में यह दवा कोरोना के इलाज में मददगार साबित हो सकता है।
कैंसर के इलाज में भी कारगार
ऑस्ट्रेलिया ने भी एप्लाइडिन (Aplidin) दवा को मंजूरी दे दी है, जो सिर्फ कोरोना ही नहीं बल्कि मल्टीपल मायलोमा, कैंसर के इलाज में भी कारगार है। यह दवा शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं का एक समूह बनाती है, जो वायरस से लड़कर बीमारी से बचाव करता है।
तीसरे ट्रायल की चल रही तैयारी
इसके अलावा यह दवा प्रोटीन eEF1A को बनने से भी रोकता है, जो SARS-CoV-2 को जीवित रखने में मदद करता है। वैज्ञानिक कैंसर के इलाज के लिए एफडीए-अनुमोदित दवाओं का परीक्षण कर रहे थे, जहां से उन्हें एपिडिन का पता चला। कोरोना के इलाज में यह काफी कारगार साबित हो सकती है लेकिन फिलहाल वैज्ञानिक इसके तीसरे ट्रायल की तैयार में लगे हुए हैं, जिसके सफल होने के बाद जल्द ही इस एंटीवायरल दवा को लॉन्च कर दिया जाएगा।
15 दिनों तक वायरल लोड 70% कम
अक्टूबर में किए गए क्लिनिकल परीक्षण के परिणामों के मुताबित, यह दवा सुरक्षित और प्रभावी , जिससे मरीजों को बीमारी से उभरने में मदद मिली। Aplidin लेने के 7 दिन बाद तक रोगियों का वायरल लोड 50% कम हो गया था और 15 दिनों तक वायरल लोड 70% कम हो गया था। 15% से अधिक रोगियों को 15 दिन या उससे पहले अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।