बच्चों की परवरिश माता-पिता के लिए बहुत ही मुश्किल होती है क्योंकि इस दौरान उन्हें जो भी सिखाया जाए वह सारी उम्र उनका साथ देता है। जैसे शिष्टाचार, धैर्य रखना, बड़ों की इज्जत करना यह सारे गुण बच्चों में बचपन से ही विकसित होते हैं यही गुण आगे चलकर बच्चों का दूसरों के प्रति व्यवहार प्रतीत करने में बेहतर साबित होते हैं। बच्चों के लिए धैर्य जरुरी है ऐसे में पेरेंट्स उन्हें कैसे इसके प्रति उजागर कर सकते हैं। आज आपको इसके बारे में बताएंगे...
शांत रखें घर का माहौल
घर के माहौल का असर बच्चों पर बहुत जल्दी पड़ता है। ऐसे में यदि आप उन्हें धैर्य सिखाना चाहते हैं तो घर का माहौल शांतिपूर्वक रखें। इससे उनका मानसिक स्तर ठीक होगा और बच्चा अपने आप ही धैर्य रखना सीख जाएगा। खासकर यदि बच्चा शरारती है तो उसे अच्छा इंसान बनाने के लिए धैर्य जरुर सिखाएं।
बिताएं उनके साथ समय
जितना आप बच्चों के साथ समय बिताएंगे उतनी ही आपकी उनके साथ बॉन्डिंग मजबूत बनेगी। इससे आप उन्हें कोई भी चीज और भी आसानी से सिखा पाएंगे। आपकी बॉन्डिंग यदि और भी मजबूत बन गई तो बच्चे आपके साथ हर चीजे के बारे में खुलकर बात कर सकेंगे।
समझें बच्चे की भावनाएं और उसकी जरुरतें
माता-पिता होकर अपने बच्चे की भावनाएं जरुर समझें। कई बार बच्चों के साथ ज्यादा सख्ती से पेश आने के कारण पेरेंट्स उनकी भावनाओं को भी इग्नोर करना शुरु देते हैं। लेकिन यदि आप उनकी बात नहीं समझेंगे तो वह और भी ज्यादा सेंसिटिव हो जाएंगे और आपकी बात को समझना ही बंद कर देंगे। उन्हें दूसरों की बात समझने और जरुरतों के प्रति सेंसिटिव होने का गुण भी सिखाएं। इससे बच्चों में मदद का भाव विकसित होगा और वह अपने सामर्थ्य के अनुसार निर्णय ले पाएंगे। इसके अलावा बच्चों में धीरे-धीरे धैर्य का गुण भी विकसित होने लगेगा।
गलतियों से करवाएं बच्चे को अवगत
बच्चे जब भी कोई गलती करते हैं तो उसे समझने से उनके दिमाग में सही असर पड़ता है इससे बच्चे अपनी गलतियों को भी समझते हैं। बच्चे को उनकी गलतियों से अवगत करवाते रहें इससे उन्हें अपनी गलती का अहसास भी होगा और वह आगे से ऐसी कोई हरकत भी नहीं करेंगे जिससे आपका दिल टूटे या आपको बुरा लगे।
बच्चों पर बिल्कुल भी न चिल्लाएं
कई बार माता-पिता गुस्से के कारण बच्चों पर चिल्लाने लग जाते हैं जिसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसके कारण बच्चे बहुत ज्यादा इरिटेट भी हो जाते हैं और उनका किसी भी चीज को लेकर धैर्य भी नहीं रहता। ऐसे में उनके साथ थोड़ा प्यार से पेश आकर आप बच्चों को हर बात समझा सकते हैं।