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इकलौते बच्चे की परवरिश में कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ये गलतियां? बिगड़ सकता है लाडले का फ्यूचर

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 22 May, 2024 05:27 PM
इकलौते बच्चे की परवरिश में कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ये गलतियां? बिगड़ सकता है लाडले का फ्यूचर

नारी डेस्क: छोटे बच्चे चिकनी मिट्टी के घड़े होते हैं। उन्हें बचपन में जो सीखा दो या जैसा बना लो, वैसी आदतें वो जिंदगी भर अपने साथ लेकर चलते हैं। इसलिए उनके बेहतर भविष्य के लिए उनकी अच्छी परवरिश करने की जरूरत होती है। हालांकि इस काम में पैरेंट्स अपनी तरफ से कोई कमी नहीं रखते हैं पर जब बात आती है इकौलते बच्चे की परवरिश की तो पैरेंट्स को चाहिए कि वो थोड़ी ज्यादा जिम्मेदारी लें। वरना ज्यादा देर नहीं लगेगी बच्चे को गलत संगत में पड़कर बिगड़ने की, तो पैरेट्स के तौर पर आप भी ये गलतियां करने से बचें।

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बच्चों पर अपनी इच्छाएं ना थोपें

अक्सर ये देखा जाता है कि पैरेंट्स अपने अधूरे सपने को पूरा करने की उम्मीद अपने बच्चे से रखते हैं। अगर आप भा ऐसी गलत करते हैं तो ऐसा न करें। बच्चे पर कभी भी अपनी इच्छाओं को पूरा करने का दबाव ना बनाओं। आपके ऐसा करने से बच्चा तनाव में आ सकता है। जिससे उसकी मानसिक और शारीरिक सेहत पर भी बुरा असर पड़ने लगता है।

फैसले लेने का अधिकार न देना

कई बार पैरेंट्स अपने बच्चे को नासमझ और गैर जिम्मेदार समझते हैं। वो बच्चों को उनके जिंदगी की बागडोर न देकर, उनके लिए सारे फैसले खुद ही करते हैं। इससे वो बच्चे का आत्मविश्वास कमजोर कर देते हैं। बच्चे को अपने कुछ फैसले जैसे उसकी पसंद के खिलौनों से लेकर शिक्षा से जुड़ा कोई फैसला खुद लेने दें। अपने हर गलत निर्णय से सबक लेकर वो भविष्य में सही फैसला लेना सीखेंगे। लेकिन आप अगर उनके हर फैसले खुद लेंगे तो वो जीवन में अपने फैसलों को लेकर हमेशा कंफ्यूज रहेंगे।

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ओवर प्रोटेक्टिव न बनें

परिवार के इकलौते बच्चे को माता- पिता जरूरत से ज्यादा सुरक्षा देते हैं। वो बच्चे के हर काम में दखल देकर उसका बचाव करने की कोशिश में लगे रहते हैं, इससे बच्चे का आत्मविश्वास कम होने लगता है। वो कभी अपनी बातों किसी के सामने खुलकर नहीं रख जाते हैं।

पैरेंट्स बंध लें ये बातें गंठ

- अपने इकौलते बच्चे को प्यार और स्नेह तो दें, पर उसे बिगाड़ें नहीं।
- बच्चे को सही और गलत के बीच का अंतर बताएं।
- बच्चे को आजादी देते हुए उसे उसकी जिम्मेदारियों का एहसास करवाएं।
- अकेले बच्चे को दोस्त बनाने और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें।
- बच्चे की उपलब्धियों की सराहना करते हुए गलतियों से सीखने में मदद करें।
- अकेले बच्चे को दोस्तों के साथ टीम खेलों में शामिल होकर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें।

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