टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम अपने शानदार प्रदर्शन से पहली बार ओलंपिक के सेमिफाइनल में पहुंच गई है। वहीं टीम में शामिल सभी बेटियों का गुणगान पूरे देश भर हो रहा है। टीम की गोलकीपर सविता पुनिया ने जहां आस्ट्रेलिया के 9 पेनल्टी काॅर्नर रोके वहीं टीम के बाकी खिलाड़ियों ने भी खेल में अपनी पूरी जान लगा दी, इन्हीं में एक खिलाड़ी है झारखंड के खूंटी की बेटी निक्की प्रधान जिसका ओलंपिक सफर हर एक महिला के लिए मिसाल है, कि अगर महिला ठान ले तो कुछ भी नामुमकिन नहीं।
ओलंपिक में खेलने गई झारखंड के खूंटी के बेटी निक्की प्रधान के आज सड़कों पर बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगे हुए है। टीम ऑफ इंडिया की मजबूत डिफेंडर निक्की प्रधान इसी गांव की रहने वाली है।
बेटी टोक्यो ओलंपिक में दिखा रही हैं दम और पिता कच्चे घर में रहने को मजबूर
निक्की के पिता ने बताया कि गुल्ली डंडा खेलने वाली उनकी बेटी ने बचपन में हॉकी का स्टिक कब पकड़ लिया, पता ही नहीं चला। वहीं पिता का कहना है कि दुनिया भर में नाम कमाने वाली अपनी बेटी पर गर्व है, लेकिन गांव में कच्चे घर में रहने का मलाल भी है। पिता सोमा प्रधान ने राज्य सरकार से शहर में एक पक्के मकान की मांग की हैं। साथ ही हेसल गांव में एक भी खेल का मैदान नहीं होने पर दुख जताया है।
निक्की अब गांव के बजाय शहर में रहना चाहती हैं
निक्की के पिता सोमा प्रधान ने बताया कि निक्की अब गांव के बजाय शहर में रहना चाहती हैं, ताकि वह अपने खेल को लेकर बेहतर ढंग से प्रैक्टिस कर सके, क्योंकि गांव में मैदान और दूसरी सुविधाएं नहीं होने की वजह से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
साग भात ही खाना ज्यादा पसंद करती है निक्की
इसके साथ ही निक्की की मां ने कहा कि वह बचपन से ही तेजतर्रार और समझदार रही हैं इसी वजह से वह टीम में अच्छे ढंग से एक मजबूत डिफेंडर की भूमिका निभा पाती है। निक्की की मां ने बताया कि निक्की गांव की बेटी है,इसलिए साग भात ही खाना ज्यादा पसंद करती है।
गांववासियों को उम्मीद, मौका मिलते ही गोल करने से चूकेगीनहीं निक्की
ओलंपिक में पहुंच निक्की को देख उनके माता-पिता के साथ ही पूरे गाव का सीना चौड़ा हो गया है सभी गांववासियों को भी निक्की पर गर्व है। सभी को उम्मीद है कि निक्की खेल के मैदान में विरोधी टीम को गोल करने का मौका नहीं देगी, और मौका मिलते ही गोल करने से चूकेगी भी नहीं।