26 NOVTUESDAY2024 2:35:36 AM
Nari

चीते तो आ गए पर नहीं आए शेर, दो दशक से Asiatic Lion की शिफ्टिंग का हो रहा है इंतजार

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 23 Sep, 2022 10:51 AM
चीते तो आ गए पर नहीं आए शेर, दो दशक से Asiatic Lion की शिफ्टिंग का हो रहा है इंतजार

 नामीबिया से लाए गए आठ चीते मध्य प्रदेश कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) के नए वातावरण के अनुरूप खुद को ढालने की कोशिश कर रहे हैं। ये पांच मादा और तीन नर चीते 30 से 66 महीने की उम्र के हैं और उनका स्वास्थ्य अच्छा है तथा वे विशेषज्ञों की निरंतर निगरानी में हैं। अब सवाल यह है कि नामीबिया से तो चीते आ गए लेकिन "घर" के राज्य गुजरात से एशियाटिक लायन नहीं लाए जा सके।

PunjabKesari

नहीं माने गए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद भी गुजरात सरकार हर बार किसी न किसी बहाने शेर देने से इंकार कर देती है। हालांकि वन अधिकारियों का कहना है कि शेर और चीता एक साथ रह सकते हैं इसलिए यहां शेर लाने के प्रयास जारी रखेंगे। भोपाल के आरटीआइ कार्यकर्ता अजय दुबे ने शेरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। कोर्ट ने अप्रैल, 2013 में भारत सरकार को छह माह में गिर से शेर कूनो भेजने के आदेश दिए थे, इसके बावजूद शेर नहीं पहुंचे। 

PunjabKesari
गुजरात सरकार देती रही दलीलें

चीतों के प्रस्तावित मसौदे को लेकर गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दलील रखी थी कि जब अफ्रीकन चीते आ ही रहे हैं तो मप्र को गिर के शेरों की क्या जरूरत? हैरानी की बात है कि गिर अभयारण्य में शेर सुरक्षित भी नहीं हैं। यहां अब तक सैंकड़ों शेर मर चुके हैं, इनकी मौत का बड़ा कारण सड़क व रेल दुर्घटना, अभयारण्य में कुओं में डूबने और इलेक्टि्रक फेंसिंग बताया गया है। 

PunjabKesari
गुजरात में हो रही शेरों की मौत

2021 में विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2019 में, गुजरात में 154 शेरों की मौत हुई। 2017 और 2018 में, गुजरात में 184 शेरों की मौत हुई. इससे पहले दर्ज की गई वार्षिक मौतों की सबसे अधिक संख्या 2017 में थी, जब 98 शेरों की मृत्यु हुई थी। 2020 में 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोजेक्ट लायन के प्रारंभिक प्रस्ताव को लॉन्च किया था. उस समय शेरों के स्थानांतरण के लिए मध्य प्रदेश और राजस्थान में तीन-तीन सहित सात साइटों को चिन्हित भी किया गया था, लेकिन अगस्त 2021 तक के रिकॉर्ड दिखाते हैं कि गुजरात ने राज्य के बाहर शेरों को स्थानांतरित करने का कोई प्रावधान ही नहीं रखा। 

PunjabKesari
कूनो नेशनल पार्क में है तेंदुओं की आबादी

कूनो नेशनल पार्क को करीब एक दशक पहले गिर के एशियाई शेरों को लाने के लिए तैयार किया गया था लेकिन अभी तक शेर आ नहीं पाए। दरअसल इस पार्क में कोई इंसानी बस्ती या गांव नहीं है और न ही  खेती-बाड़ी। ऐसे में चीतों और शेरों के लिए शिकार करने लायक बहुत कुछ है। यह बाघ और तेंदुए के लिए भी रहने की सबसे बेहतरीन जगह है। इस जंगल में तेंदुओं की आबादी काफी है । बस अब इसे शेर का इंतजार है। 

PunjabKesari
शेरों का इंतजार हो गया लंबा 

1990 में वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया, जो कि पर्यावरण मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान है और वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया जो कि एक गैर सरकारी संस्थान है, ने कूनो को शेरों के लिए एक अच्छा पर्यावास माना था। इसके बाद 1996 और 2001 के बीच लगभग 23 परिवार कूनो वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी के अंदर से हटाये गए जो कि ज्यादातर सहरिया आदिवासियों के थे और उसके बाद 1280 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कूनो वन्यजीव विभाग के लिए सीमांकित किया गया। कूनो ने दो दशक के लगभग शेरों का इंतजार कर लिया जिसके लिए यहां के लोगों ने काफी त्याग किया।  25 गांव और 1400 से अधिक परिवार अपना परंपरागत घर और व्यवसाय छोड़कर अन्य गांवों में रह रहे हैं। इस सब के बावजूद गुजरात सरकार अपनी जिद नहीं छोड़ रही है। 

Related News