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आम दर्शक की तरह रामायण देखते थे स्वप्निल जोशी, ऐसा मिला कुश का रोल

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 03 May, 2020 03:20 PM
आम दर्शक की तरह रामायण देखते थे स्वप्निल जोशी, ऐसा मिला कुश का रोल

रामानंद सागर की रामायण ने तो एक बार फिर टीवी पर आते ही टीआरपी के सारे रिकार्ड तोड़ दिए लोगों ने रामायण को खूब पंसद किया जिसकी वजह से ही इसकी टीआरपी सबसे ज्यादा पहुंची और इस धारावाहिक ने वर्ल्ड रिकार्ड बनाया। रामानंद सागर की इस रामायण के बाद अगर लोग किसी धारावाहिक को प्यार दे रहे है तो वो उत्तर रामायण को।

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रामानंद सागर की उत्तर रामायण भी लोगों का खूब मनोरंजन कर रही है लोग इस धारावाहिक को तो प्यार दे ही रहे है साथ ही वह इस रामायण में कुश का रोल निभाने वाले स्वप्निल जोशी के काम को भी उतना ही सहार रहे है। स्वप्निल उस परिवार से आते है जिनका एक्टिंग इंडस्ट्री से कोई लेना देना नही है और वह बेहद ही मध्यमवर्ग फेमिली से आते है।

आम दर्शकों की तरह देखते थे रामायण 

स्वप्निल ने अपने एक इंटरव्यू में बताया कि वह भी दुसरों की तरह आम दर्शकों की तरह ही अपने परिवार के साथ रामानंद सागर की 'रामायण' देखते थे। तब वे 7 या 8 साल के थे। जब रामायण खत्म हुई और पता चला कि उत्तर रामायण भी आएगा जिसमें लव-कुश की कहानी आएगी तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। स्वप्निल  गिरगांव में रहते थे वह एक मीडिल क्लास फेमिली से आते थे अपनी इंटरव्यू में वे बताते है कि उनकी पूरी बस्ती में टीवी नही था। एक-दो लोगों के यहां था तो सुबह वहीं जाकर देखते थे। 

कैसे मिला कुश का रोल

स्वपनिल के मुताबिक उनकी कॉलोनी में गणेश उत्सव धूम धाम से मनाते थे और वे भी नाटक में हिस्सा लेते थे। स्वप्निल ने आगे बताया कि एक बार रामायण में लवणासुर राक्षस का किरदार निभाने वाले विलासराज जी हमारी कॉलोनी में किसी से मिलने आए। जब वे मिलकर वापिस जा रहे थे उनकी नजर मुझ पर पड़ी। किसी ने मेरे पिता मोहन जोशी का नाम बताया और कहा कि स्वपनिल एक चुलबुला लड़का है। उन्होंने मेरे पिताजी से मिलने चाहा। उन्हें देखकर मैं हक्का बक्का ही रह गया कि जिस शो को हम टीवी पर देखते थे उनके कलाकार हमारे घर में आए है। 

वह आगे बताते है कि उन्होंने मेरे पिताजी से मेरे काम की सराहना कि और पूछा कि आपके बच्चे की फोटो है क्या। पिताजी ने एलबम दिखाई तो उसमें मेरे बर्थ डे की फोटो थी और वे वो फोटो अपने साथ ही ले गए। 

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पड़ोस के घर आया सिलेक्शन का फोन

स्वपनिल ने आगे बताया कि उस समय हर घर पर फोन नहीं हुआ करते थे कुछ ही घरों में फोन होते थे। एक बार पड़ोस की एक आंटी के यहां फोन आया कि सागर आर्ट्स से बोल रहे हैं और स्वपनिल जोशी के पिताजी से बात करना चाहते हैं। आंटी ने पापा को बताया तो मेरे पापा ने कहा कि कोई मजाक कर रहा होगा हमारा सागर नंबर वो कहां से ढूंढेंगे। दूसरे दिन फिर फोन आया तो पापा ने कहा कि कह दो घर पर नहीं हैं।

तीसरे दिन फिर आया फोन

 तीसरे दिन फिर लगातार फोन आया तो आंटी से कहलवा दिया कि घर पर तो है पर बात नहीं करना चाहते। छह बार कॉल आए पर पापा बात नहीं करने गए ये समझकर कि कोई मजाक कर रहा है। फिर 7वीं बार फोन आया तो मोती सागर ने खुद बात की। पापा ने भी रामायण के टाइटल में उनका नाम पड़ा था तो सोचा कि इतना नाम लेकर कोई मजाक नहीं कर सकता। पापा फोन पर आए तो मोती अंकल ने थोड़ा नाराजगी दिखाई और बोले कि आपको बात नहीं करनी थी तो बेटे की फोटो हमारे ऑफिस में क्यों दी। पापा को ध्यान आया कि विलास राज जी मिले थे तो क्लीयर हुआ कि क्या बात थी।

उन्होंने बताया कि वे राम जी के बेटे की भूमिका में लव-कुश की तलाश कर रहे हैं और आपके बेटे से मिलना है। स्वपनिल ने आगे कहा कि पापा के पैरों तले जमीन खिसक गई। आज भी उस बात को याद कर उनकी आंखें नम हो जाती है। 

रोने लगे थे पिता

वह आगे बताते है कि इस खबर को सुनने के बाद पापा ने तो रोना ही शुरू कर दिया था। वह दिन में कभी नहीं भूल सकता।

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