दिल का दौरा पड़ने और स्ट्रोक का जोखिम 45 की उम्र के बाद अधिक होता है लेकिन युवावस्था में ही कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखना ताउम्र स्वस्थ रहने के लिए काफी जरूरी होता है। युवावस्था के दौरान खून में मौजूद कोलेस्ट्रॉल के स्तर को जांच कर भविष्य में होने वाले खतरों की आंशका का पता लगाया जा सकता है। यह दावा हाल ही में हुए एक शोध में किया गया है।
अध्ययन के मुताबिक, 45 साल से कम उम्र के ऐसे पुरुष जिनमें कोलेस्ट्रॉल का स्तर बहुत अधिक था उन्हें 75 सालकी उम्र में स्ट्रोक या दिल का दौरा पड़ने की आंशका 30 फीसदी अधिक थी, वहीं महिलाओं में इसका खतरा 16 फीसदी अधिक था। इस शोध के मुताबिक युवावस्था में कोलेस्ट्रॉल का स्तर और बाद की उम्र में हार्ट डिसीज के जोखिम के बीच के संबंधों की गहनता से जांच की गई।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस शोध में हमने उच्च कोलेस्ट्रॉल को अधिक वजन, व्यायाम की कमी, धूम्रपान और शराब के सेवन से भी जोड़ा है। हालांकि कोलेस्ट्रॉल के हाई स्तर से दिल के रोग का खतरा होता है। यह पहले हुए शोधों में साबित हो चुका है लेकिन इस शोध में वैज्ञानिकों ने युवावस्था में कोलेस्ट्रॉल के स्तर और बुढ़ापे में आने वाले हृदयघात और स्ट्रोक के बीच संबंध स्थापित किया है।
इस नए शोध में 19 देशों के 43 साल तक के 4 लाख से अधिक लोगों पर अध्ययन किया गया जिन लोगों पर शोध हुआ उनमें शुरुआत या युवावस्था में किसी को हृदय संबंधू बीमारी नहीं थी।
इसमें सभी वर्ग की महिला और पुरुष प्रतिभागियों के डाटा का अध्ययन किया गया। वैज्ञानिकों ने पाया कि जैसे-जैसे युवावस्था में बुरे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा घटती गई वैसे-वैसे 75 उम्र तक हृदय रोग और स्ट्रोक की घटनाओं में कमी आती गई। जिन लोगों में बुरे कोलेस्ट्रॉल में कमी आती गई उनमें दिल के रोगों और स्ट्रोक का खतरा भी उतना ही कम होता गया।
क्या है गुड़ व बैड कोलेस्ट्रॉल
हमारे शरीर की प्रत्येक कोशिका को जीवित रहने के लिए कोलेस्ट्रॉल की जरूरत होती है। कोलेस्ट्रॉल दो तरह का होता है अच्छा (L.D.L) व बुरा (H.D.L)। गुड कोलेस्ट्राल (हाई डेन्सिटी लाइपो प्रोटीन्स) में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है लेकिन बैड कोलेस्ट्रोल यानि लो डेन्सिटी लाइपो प्रोटीन्स में प्रोटीन के साथ फैट की मात्रा भी अधिक होती है इसलिए इसका हाई लेवल हानिकारक हो सकता है। अगर शरीर में एच.डी.एल. की मात्रा बढ़ जाए तो कोशिकाएं इक्ट्ठा होनी शुरु हो जाती है, जिससे दिल के रोग, हार्ट अटैक व स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
कब बढ़ता है कोलेस्ट्रॉल?
मासिक धर्म शुरू होने से पहले महिलाओं में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम रहता है लेकिन इसके बाद पुरूषों की तुलना में महिलाओं में कोलेस्ट्रॉल अधिक बढ़ता है। मगर 60 से 65 वर्ष की उम्र तक महिलाओं और पुरुषों में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा सामान रूप से बढ़ती है। महिलाओं में कोलेस्ट्रॉल का कम होना प्रीमैच्योर बेबी के जन्म का कारण बन सकता है इसलिए आपको खासतौर पर प्रेगनेंसी के दौरान कोलेस्ट्राल लेवल सामान्य रखना चाहिए।
-कई बार कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की प्रॉब्लम आनुवांशिक भी हो सकती है। साथ ही डायबिटीज, हाइपरटेंशन, किडनी डिजीज, लीवर डिजीज और हाइपर थाइरॉयडिज्म से पीड़ित लोगों में भी कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक पाया जाता है।
अब हम आपको कुछ ऐसे टिप्स देते हैं, जिससे आप शरीर में कोलेस्ट्राल लेवल को कंट्रोल कर सकते हैं...
डाइट है सबसे जरूरी
कोलेस्ट्राल को कंट्रोल में रखने के लिए सही डाइट लेना बहुत जरूरी है। इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट में हरी सब्जियां, फल, ताजा फलों का रस, नारियल पानी, ड्राई फ्रूट्स, ग्रीन टी, ओट्स, नींबू, ऑलिव ऑयल और साबुत अनाज अधिक लें।
इन चीजों से करें परहेज
शराब, तंबाकू, सिगरेट, फास्ट व जंक फूड्स, ऑयली व मसालेदार भोजन, कोल्ड ड्रिंक्स, पैक्ड फूड्स, रेड मीट, फुल क्रीम दूध और घी से परहेज करें।
ग्रीन टी
दिनभर में 2 कप ग्रीन ग्रीन टी पीने से कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है।
लहसुन
लहसुन का सेवन भी शरीर में बेड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करके गुड़ कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है।
वजन को करे कंट्रोल
बढ़ते वजन के के कारण भी शरीर में कोलेस्ट्राल लेवल बढ़ सकता है इसलिए इसे कंट्रोल में रखें।
नारियल तेल
नारियल तेल शरीर में वसा को कम करता है, जिससे कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता। आप चाहें तो नारियल पानी का सेवन भी कर सकते हैं।
आंवला
गुनगुने पानी के साथ आंवला पाऊडर खाने से भी कोलेस्ट्रॉल लेवल कंट्रोल में रहता है। आप चाहें तो आंवला का जूस भी पी सकते हैं।
एक्सरसाइज करें
रोजाना कम से कम आधा घंटा एक्सरसाइज या योग जरूर करें। इससे कोलेस्ट्रॉल भी कंट्रोल में रहेगा और आप अन्य बीमारियों से भी बचे रहेंगे।