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150 से अधिक पुरुषों से संबंध बना चुका हूं, क्या करूं? युवक के सवाल पर प्रेमानंद महाराज का चौंकाने वाला जवाब

  • Edited By PRARTHNA SHARMA,
  • Updated: 18 Apr, 2025 04:04 PM
150 से अधिक पुरुषों से संबंध बना चुका हूं, क्या करूं? युवक के सवाल पर प्रेमानंद महाराज का चौंकाने वाला जवाब

नारी डेस्क: मथुरा के प्रसिद्ध संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज, जिन्हें लोग प्रेमानंद महाराज के नाम से जानते हैं, देश-विदेश में अपनी उपदेशों और सत्संग के लिए प्रसिद्ध हैं। वृंदावन में उनका आश्रम है जहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। प्रेमानंद महाराज अपने शब्दों से लोगों को आध्यात्मिक और सांसारिक जीवन के बारे में ज्ञान देते हैं। सोशल मीडिया पर भी उनकी सक्रियता रहती है, और लोग उन्हें बड़े श्रद्धा भाव से फॉलो करते हैं।

सत्संग में सवाल-जवाब का दौर

प्रेमानंद महाराज के सत्संग के बाद अक्सर श्रद्धालु अपनी समस्याओं का समाधान पूछने आते हैं। संत अपने सहज और सरल तरीके से हर सवाल का उत्तर देते हैं। एक दिन, एक व्यक्ति ने महाराज से एक बहुत ही अलग तरह का सवाल पूछा, जो अब चर्चा का विषय बन चुका है।

दरअसल, एक शख्स प्रेमानंद महाराज के पास आया और उसने खुद को समलैंगिक बताया। उसने बताया कि उसने अब तक करीब 150 से ज्यादा पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध बनाए हैं, और अब वह इस स्थिति से परेशान हो चुका है। वह जानना चाहता था कि अब उसे क्या करना चाहिए।

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प्रेमानंद महाराज का उत्तर

प्रेमानंद महाराज ने इस सवाल का बहुत सहज और समझदारी से उत्तर दिया। उन्होंने कहा कि यह कोई शर्मिंदा होने या छिपाने का विषय नहीं है। जैसे हम अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में डॉक्टर से बात करते हैं वैसे ही हमें अपनी मानसिक और आध्यात्मिक समस्याओं के बारे में संतों से बात करनी चाहिए।

भगवान की कृपा का संकेत

महाराज ने आगे कहा, "मुझे लगता है कि भगवान की विशेष कृपा आपके ऊपर है। क्योंकि जब-जब और जहां-जहां लोगों ने साधना की है, तब-तब उन्हें स्त्री के प्रति आकर्षण से मुंह मोड़ना पड़ा है। शास्त्रों में इसका विस्तार से वर्णन है।"

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विवेक से विचार करने की आवश्यकता

उन्होंने कहा कि इस व्यक्ति को थोड़ा विवेक से सोचना चाहिए। उसने इतने सारे पुरुषों के साथ संबंध बनाए, तो उसे क्या मिला? "सिर्फ डर और चिंता मिली, लेकिन कोई सच्चा सुख नहीं मिला।" प्रेमानंद महाराज का कहना था कि अगर वह भगवन का नाम लेकर इस प्रवृत्ति को नियंत्रित करें तो वह बहुत उत्तम इंसान बन सकते हैं। महाराज ने यह भी कहा कि सृष्टि में काम भोग का उद्देश्य केवल संतान उत्पत्ति के लिए है, न कि सिर्फ मनोरंजन के लिए। स्त्री और पुरुष का शारीरिक संबंध केवल संतान उत्पत्ति के लिए होना चाहिए, क्योंकि यही प्राकृतिक क्रम है। इस प्रक्रिया से शरीर भी सेहतमंद रहता है।

आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की सलाह

आखिरकार, प्रेमानंद महाराज ने कहा कि अगर वह व्यक्ति आध्यात्मिक मार्ग पर चलें और भगवन की शरण में आए, तो वह अपनी प्रवृत्तियों पर नियंत्रण पा सकता है। इसके बाद वह एक उत्तम और आदर्श इंसान बन सकता है।


 

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