22 NOVFRIDAY2024 3:30:47 PM
Nari

उत्तराखंड के इन पहाड़ों में है परियां का राज, गर्मियों में दूर- दूर से देखने आते हैं लोग

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 21 Apr, 2024 02:47 PM
उत्तराखंड के इन पहाड़ों में है परियां का राज, गर्मियों में दूर- दूर से देखने आते हैं लोग

उत्तराखंड का नाम सुनते ही खूबसूरत पहाड़ और वादियां आंखों के सामने आ जाती हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इन हरी- भरी वादियों में परियों का भी बसेरा है। जी हां, उत्तराखंड में बने पहाड़ों को परियों का देश भी कहा जाता है। यहां के खैट पर्वत पर कई सारी परियां रहती हैं। इसके बारे में कई कहानियां भी प्रजलित हैं। बता दें, परियों को गढ़वाली भाषा में आंछरी कहा जाता है। 

PunjabKesari

सालों से गांव की रक्षा कर रही हैं परियां

इस पर्वत के सबसे नजदीक है थात गांव। यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि पर्वत पर रह रही परियां हजारों सालों से उनकी रक्षा कर रही हैं। कुछ लोगों ने तो इस बात का दावा किया है कि यहां परियों ने दर्शन तक दिए हैं।

 जन्नत सा खूबसूरत है खैट पर्वत

खैट पर्वत के चारों ओर हरियाली है। कहते हैं कि यहां पर अखरोट और लहसुन की खेती आप होती है। लेकिन सबसे अजीब बात ये है कि अगर आप एक पौधा लगाकर जाएं तो कुछ ही दिनों में वो सूख जाएगा। ऐसी मान्यता है कि इस पर्वत पर 9 परियां रहती है। 

PunjabKesari

प्रचलित है यहां की कहानी

परियों को लेकर यहां पर एक कहानी भी खूब प्रचलित है। सदियों पहले टिहरी गढ़वाल के चौदाण गांव में राजा आशा रावत रहते थे। राजा की 6 पत्नियां थीं, लेकिन उनका कोई पुत्र नहीं था । राजा इस बात से नाखुश थे तो पहली पत्नी ने राजा से कहा कि आप 7वीं शादी कर लो। इसके बाद राजा ने देवा से शादी की। इसके कुछ समय बाद रानी देवा ने एक के बाद एक पूरे 9 बच्चों को जन्म दिया, जिनका नाम राजा ने कमला रौतेली, देवी रौतेली, आशा रौतेली, वासदेइ रौतेली, इगुला रौतेली, बिगुल रौतेली, सदेइ रौतेली, गरादुआ रौतेली और वरदेइ रौतेली रखा गया। 12 साल की उम्र तक सभी बेहद सुंदर दिखने लगी थीं। कहा जाता है कि एक रात सभी बहनें गहरी नींद में सोई हुई थीं इस दौरान उनके सपने में सेम नागराज आए और उन्होंने सभी बहनों को अपनी रानी बना लिया। लेकिन सुबह उठते ही सभी बहनों ने देखा कि उनके गांव में अंधेरा पसरा पड़ा है जबकि ऊंचे पर्वतों पर धूप खिली हुई है। सूरज की इसी तलाश में जब सभी बहनें खैट पर्वत पहुंचीं तो आंछरी यानी परी बन गईं। लोगों की मान्यता है कि ये आज भी खैट पर्वत पर परियां बनकर घूमती हैं।

रहस्यों से भरा है खैटखाल मंदिर

गांव से 5 किमी की दूरी पर खैटखाल मंदिर है जो बेहद रहस्यमयी है। यहां पर कई सारी शक्तियां हैं और लोग मंदिर में परियों को पूजते हैं। यहां के लाेगों का कहना है कि परियों को चटकीला रंग, तेज आवाज और संगीत पसंद नहीं हैं । इसलिए यहां आकर आपको एकदम शांति का वातावरण बनाना होगा।

PunjabKesari

Related News