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महात्मा गांधी कैसे बने Father Of Nation, जानिए राष्ट्रपिता की जीवन के कुछ खास तथ्य

  • Edited By palak,
  • Updated: 02 Oct, 2022 12:04 PM
महात्मा गांधी कैसे बने Father Of Nation, जानिए राष्ट्रपिता की जीवन के कुछ खास तथ्य

2 अक्टूबर यानी की आज के दिन महात्मा गांधी जी की जंयती मनाई जा रही है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था। इस खास मौके पर राष्ट्रपिता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सोनिया गांधी समेत कई राजाओं ने श्रद्धांजलि दी है। आज के दिन महात्मा गांधी के द्वारा किए गए बलिदान को याद किया जाता है। स्कूल, कॉलेज, सरकारी कार्यालयों में अलग-अलग कार्यक्रम रखे जाते हैं। सबसे पहले महात्मा गांधी जी को सुभाषचन्द्र बोस ने राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था। 4 जून 1944 को सिंगापूर रेडियो से एक संदेश प्रसारित करते हुए उन्हें राष्ट्रपिता कहा गया था। तो चलिए आपको बताते हैं कि कैसे महात्मां गांधी जी राष्ट्रपिता बने...

देश को आजादी दिलवाने के लिए किए कई आंदोलन

महात्मा गांधी जी ने हमेशा सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाया। इस पर चलकर महात्मा गांधी जी ने अंग्रेजों से लोहा लेकर देश को आजाद करवाया। देश की आजादी के लिए सविनय अवज्ञा, भारत छोड़ो आंदोलन नामक कई आंदोलन चलाए। इसके अलावा बापू ने कई बार अनशन भी किए। जेल भी गए देश को आजादी दिलवाने के लिए कई बार लाठियां भी खाई। 

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 5 बार हुए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित 

महात्मा गांधी के व्यक्तितत्व से मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला जैसे कई नेता प्रभावित हुए। बापू से प्रभावित होकर उन्होंने कई लड़ाईयां लड़ी। इसके अलावा दुनिया के सबसे मशहूर वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइिन भी बापू से प्रभावित थे। महात्मा गांधी जी को 5 बार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था। 

30 जनवरी को मारी नाथूराम गोडसे ने बापू को गोली 

नई दिल्ली के बिड़ला भवन में नाथूराम गोडसे ने बापू को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। बापू की शवयात्रा में करीबन 10 लाख लोग चल रहे थे। इसके अलावा 15 लाख से भी ज्यादा लोग रास्ते में खड़े थे। महात्मा गांधी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को हुई थी। 

बापू को पसंद नहीं था फिल्में देखना 

महात्मां गांधी जी को फिल्में देखना बिल्कुल भी पसंद नहीं था। उनका मानना था कि फिल्में देश के युवाओं के लिए अच्छी नहीं है। 

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कस्तूरबा से हुई थी बापू की शादी 

महात्मा गांधी की शादी पोरबंदर की व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा से हुई थी। वह बापू से उम्र में 6 महीने बड़ी थी। शादी के एक साल बाद गांधी जी का बेटा भी हुआ। परंतु उनका बेटा ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रह पाया। बाद में उनके चार बेटे हुए। बेटों का नाम हरिलाल, मणिलाल, रामलाल और देवदास था। गांधी जी शादी के बाद ही विदेश पढ़ने के लिए चले गए थे। विदेश जाकर उन्होंने वकालत की पढ़ाई की और स्वदेश में वापिस आकर उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई भी लड़ी। बापू की पत्नी ने भी देश सेवा के लिए उनका पूरा साथ दिया था। 

दयालु भाव के थे बापू 

बापू बहुत ही दयालु भाव के थे। एक बार जब वह रेल से यात्रा कर रहे थे तो उनका जूता ट्रेन से नीचे गिर गया। जिसके बाद उन्होंने दूसरा जूता भी पैर से निकालकर बाहर फैंक दिया। उन्हें ऐसा करता देख ट्रेन में बैठा एक व्यक्ति बोला कि आप दूसरा जूता क्यों फैंका? इस पर महात्मा गांधी जी बोले कि एक जूता मेरे क्या काम आएगा। यदि किसी को मिलता भी है तो भी उसके काम नहीं आएगा। लेकिन अगर दोनों जूते व्यक्ति को मिल जाते हैं तो उसके काम आ सकते हैं। 

गांधी जी ने शुरु किए थे ये आंदोलन 

सबसे पहले 1906 में बापू से ट्रांसवाल एशियाटिक रजिस्ट्रेशन एक्ट के खिलाफ पहला 'सत्याग्रह आंदोलन' चलाया था। गांधी जी ने नमक के लिए ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ 12 मार्च 1930 को नमक सत्याग्रह चलाया। इस आंदोलन के लिए उन्होंने अहमदाबाद के पास स्थित साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों तक पैदल मार्च किया। देश को आजाद करवाने के लिए 'दलित आंदोलन', 'असहयोग आंदोलन', 'नागरिक अवज्ञा आंदोलन', 'दांडी यात्रा' और 'भारत छोड़ो आंदोलन' भी शुरु किए थे। 

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ये हैं बापू के जीवन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य 

. सबसे पहले बापू को सुभाषचंद्र बोस ने राष्ट्रपिता कहा था। 1934 में बापू ने भागलपुर में भूकंप से पीड़ित लोगों की मदद करने के लिए अपने ऑटोग्राफ 5-5 रुपये में बेचे थे। 
. भारत देश में और विदेश में महात्मा गांधी के नाम पर कुल 101 बड़ी सड़के हैं। इनमें से 53 सड़कें देश में और 48 सड़कें विदेश में हैं। 
. अपने पूरे जीवन में बापू कभी भी फ्लाइट में नहीं बैठे थे। उन्होंने विदेश यात्रा के लिए भी समुद्र मार्ग का रास्ता चुना था। 
. 30 जनवरी 1948 को गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। बापू की अंतिम यात्रा में करीबन 10 लाख लोग शामिल थे। वहीं करीबन 15 लाख लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए रास्ते में खड़े थे। 
. गांधी जी की भगवान श्रीराम के प्रति काफी श्रद्धा थी। जब नाथूराम गोडसे ने उन्हें गोली मारी तो उनके मुंह से अंतिम शब्द 'हे राम' ही निकला था। 

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