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चंडीगढ़ आईएएस अफसर और ड्राइवर की बेटियों ने एक साथ जज बनकर किया कमाल!

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 25 Oct, 2024 12:02 PM
चंडीगढ़ आईएएस अफसर और ड्राइवर की बेटियों ने एक साथ जज बनकर किया कमाल!

नारी डेस्क: हाल ही में हरियाणा ज्यूडिशियल सर्विसेस का रिजल्ट घोषित हुआ, जिसने एक प्रेरणादायक कहानी को उजागर किया है। हरियाणा स्टेट एग्रीकल्चरल मार्केटिंग (एचएसएएम) बोर्ड के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर मुकेश कुमार आहूजा और उनके ड्राइवर होशियार सिंह दोनों के परिवार में खुशी का माहौल है, क्योंकि उनकी बेटियां पारस और समीक्षा जज बन गई हैं। पारस ने परीक्षा में 12वीं रैंक हासिल की, जबकि समीक्षा ने एससी वर्ग में दूसरे स्थान पर रहकर सबको गर्वित किया। इस सफलता के साथ, दोनों परिवारों ने एक-दूसरे को बधाई दी और अपने सपनों की पूर्ति का जश्न मनाया।

पारस की प्रेरणा

पारस ने बताया, "जब रिजल्ट आया और मैंने देखा कि समीक्षा भी सफल हुई है, तो मुझे उससे ज्यादा खुशी हुई। मैं एक प्रिविलेज्ड परिवार से हूं, और बचपन से ही ऐसे माहौल में पली-बढ़ी हूं। लेकिन समीक्षा ने जो मेहनत की है, वह सच में प्रशंसनीय है। उनके माता-पिता ने जो सपोर्ट किया, वह अविस्मरणीय है।"

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समीक्षा की मेहनत

वहीं, समीक्षा ने अपने पिता की मेहनत और संघर्ष को याद करते हुए कहा, "मेरे पिता 2007 से अफसरों के साथ जुड़े हैं और उनकी जिंदगी की चुनौतियों को जानते थे। वे हमेशा चाहते थे कि मैं भी अफसर बनूं। मैंने बचपन में किताबों में लॉयर्स की तस्वीरें देखी थीं, जो मुझे प्रेरित करती थीं। तभी मैंने ठान लिया था कि मुझे ज्यूडिशियल क्षेत्र में जाना है।"

अभिभावकों का गर्व

पारस के पिता मुकेश कुमार ने कहा, "जब मुझे पता चला कि पारस और समीक्षा दोनों तैयारी कर रही हैं, तो मैंने उन्हें मिलवाया। मुझे खुशी है कि दोनों ने सफलता प्राप्त की। बच्चे सभी के बराबर होते हैं, और उनकी मेहनत रंग लाई।"

समीक्षा के पिता होशियार सिंह ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, "यह मेरी बेटी की मेहनत और किस्मत का खेल है। मैं खुद 10वीं पास कर ड्राइवर बना, यह कभी नहीं सोचा था कि मेरी बेटी जज बनेगी। मुझे उस पर गर्व है।"

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यह कहानी न केवल इन दो परिवारों की मेहनत और समर्पण का उदाहरण है, बल्कि यह समाज में सपनों को पूरा करने की प्रेरणा भी देती है। पारस और समीक्षा की सफलता साबित करती है कि कड़ी मेहनत, समर्थन और दृढ़ संकल्प से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है। इस प्रकार, हरियाणा ज्यूडिशियल सर्विसेस के परिणाम ने हमें याद दिलाया है कि सच्ची मेहनत कभी बेकार नहीं जाती।

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