27 DECFRIDAY2024 9:27:36 AM
Nari

Annapurna Jayanti 2021: माता पार्वती ने क्यों लिया था देवी अन्नपूर्णा का अवतार? पढ़िए पूरी कथा

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 16 Dec, 2021 04:45 PM
Annapurna Jayanti 2021: माता पार्वती ने क्यों लिया था देवी अन्नपूर्णा का अवतार? पढ़िए पूरी कथा

अन्नपूर्णा पूजा देवी पार्वती को समर्पित है, जो मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाई जाती है। हिंदू धर्म में यह पर्व बहुत महत्वूपूर्ण है जो इस साल 19 दिसंबर को पड़ रहा है। इस दौरान माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। देवी अन्नपूर्णा को अन्न व पोषण की देवी माना जाता है। अन्ना शब्द अनाज या भोजन को दर्शाता है और पूर्ण का अर्थ संस्कृत में पूर्ण या पूर्ण है। देवी अन्नपूर्णा देवी पार्वती का अवतार हैं। चलिए आपको बताते हैं कि इस दिन क्यों की जाती है देवी पार्वती की पूजा...

इस दिन जरूर करें ये काम

भक्त देवी की पूजा करने के लिए अन्नपूर्णा सहस्रनाम का पाठ करते हैं और अन्नपूर्णा शतनामा स्तोत्रम का जाप करते हुए उनके 108 नामों का भी पाठ किया जाता है।

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ - 07:24 पूर्वाह्न 18 दिसंबर, 2021
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 19 दिसंबर 2021 को सुबह 10:05 बजे

PunjabKesari

अन्नपूर्णा अष्टमी कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, देवी पार्वती को भगवान शिव ने बताया था कि ब्रह्मांड में सब कुछ एक भ्रम है यानी माया और भोजन उनमें से एक है। देवी पार्वती, जिन्हें भोजन से युक्त सभी भौतिक चीजों की देवता के रूप में जाना जाता है, इस बात पर क्रोधित हो गईं।

भौतिकवादी चीजों के वास्तविक महत्व को दिखाने के लिए देवता ब्रह्मांड से गायब हो गए। उनके जाने से सब कुछ ठप हो गया और धरती पूरी तरह बंजर हो गई। कहीं भी भोजन उपलब्ध न होने के कारण सभी प्राणी भूख से तड़पने लगे। सभी कष्टों और पीड़ाओं को देखकर देवी पार्वती ने काशी में अन्नपूर्णा माता का अवतार लिया और एक रसोई घर की स्थापना की।

तब भगवान शिव ने को भौतिक दुनिया के महत्व का एहसास हो गया है। उन्होंने देवी से कहा कि यह एक ऐसी आत्मा है जिसे केवल एक भ्रम की तरह खारिज नहीं किया जा सकता है। देवी पार्वती मुस्कुराई और उन्होंने अपने हाथों से भगवान शिव को भोजन करवाया। बस तभी से देवी पार्वती को माता अन्नपूर्णा के रूप में भी पूजा जाना जाने लगा।

Related News