भले ही देश तरक्की की राह पर है लेकिन कुछ लोगों की पुरानी सोच अभी भी नहीं बदली है। तभी तो पत्नी को थप्पड़ मरना या उस पर हाथ उठाना सही ठहराया जा रहा है। भारतीय महिलाएं आज भी अपने पति के हाथों पिटती हैं और घरेलू हिंसा की शिकार होती हैं। हैरानी की बात तो यह है कि 45 फीसदी महिलाएं इस पिटाई को सही भी मानती हैं
एनएफएचएस की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
शहर की महिलाएं भी पतियों द्वारा पिटायी को जायज ठहरा रही हैं। यह बात राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के एक सर्वेक्षण में सामने आयी है। 45 फीसदी महिलाओं का मानना है कि अगर पत्नी अपने सास-ससुर सहित पति के परिवार के लोगों का आदर नहीं करती है और ऐसी स्थिति में पति उसकी पिटाई करता है, तो यह सही है।
पिटाई के बताए गए हैं कारण
सर्वेक्षण ने उन संभावित परिस्थितियों को सामने रखा जिनमें एक पति अपनी पत्नी की पिटायी करता है: यदि उसे उसके विश्वासघाती होने का संदेह है, अगर वह ससुराल वालों का अनादर करती है, अगर वह उससे बहस करती है, अगर वह उसके साथ यौन संबंध बनाने से इनकार करती है, अगर वह उसे बताये बिना बाहर जाती है, अगर वह घर या बच्चों की उपेक्षा करती है, अगर वह अच्छा खाना नहीं बनाती है।
पुरुषों से भी ली गई राय
इसी तरह 32 फीसदी महिलाओं ने कहा कि अगर पत्नी अपने घर और बच्चों का सही देखभाल नहीं करती और इस स्थिति में वह पति के हाथों पिटती है, तो यह गलत नहीं है। पुरुषों से भी इस मुद्दे पर राय ली गई। 44 प्रतिशत पुरुषों ने माना कि पत्नी की पिटाई में कुछ भी गलत नहीं है।तकरीबन 40 फीसदी शादीशुदा महिलाओं को घरेलू हिंसा का अनुभव है
बहुत कम महिलाएं लेती हैं पुलिस की मदद
NHFS के मुताबिक, ऐसी सोच रखने वाली महिलाओं की संख्या तमिलनाडु (56 फीसदी), आंध्र प्रदेश (62.5 फीसदी) और कर्नाटक में (59 फीसदी) है। सबसे अधिक महिलाओं ने घर या बच्चों की उपेक्षा और ससुराल वालों के अनादर की वजह से पिटाई को सामान्य बताया। सिर्फ 2 फीसदी महिलाएं ही इस मामले में पुलिस की सहायता लेती हैं।
22 फीसदी महिलाओं की ये है सोच
इसके साथ ही 22 फीसदी महिलाओं का यह भी मानना है कि पत्नियों को कोई अधिकार नहीं है कि वह पति से जुबान लड़ाए। इतना ही नहीं 20 फीसदी महिलाओं का तो यह भी मानना है कि यदि पति को अपनी पत्नी पर शक है तो वह हाथ उठा सकता है। पति की इजाजत के बिना घर से बाहर जाना भी गलत बताया जा रहा है।