जहां दुनियाभर में कोरोना के फैलने से हर कोई परेशान है। इससे बचने के लिए सरकार द्वारा लॉकडाउन किया गया। ऐसे अरावली पहाड़ी क्षेत्र जहां पर लोग घूमने के लिए अक्सर जाते थे। अब वह एकदम खाली हो गया है। ऐसे में उन जगह पर इंसानों के ना जाने से वन्य जीव को खुल कर घूमने का मौका मिला है। ऐसे में इंसानों द्वारा कहे जाने वाला कोरोना काल उन वन्य जीवों के लिए वरदान के तौर पर साबित हुआ है।
खबरों के मुताबिक, अरावली क्षेत्र की कुछ जगहों पर वन्य पहले ये जीव देखने को मिलते थे। ऐसे में वे जगहों व पहाड़ों के बीच घूमते हुए कई बार रिहाइशी इलाकों में भी दिखाई देते थे। साथ ही लोगों से डरने के चलते वे उनसे छुपे रहते थे। ऐसे में जानवर कम मात्रा में ही देखने को मिलते थे। मगर अब कोरोना वायरस के आने से लोगों ने घरों से निकलना कम कर दिया है। इसके कारण अब वन्य जीव खुद को सुरक्षित महसूस करके खुले में घूमने लगे हैं। साथ ही वन्य जीवों की संख्या में भी वृद्धि आई है।
अब कोरोना काल में इन जीवों की संख्या बढ़ने में कितनी बढ़ोतरी हुई है इसका पता तो अगले साल होने वाली वन्य जीवों की गणना से ही चल पाएगा। इसका आंकन वन्य जीव संस्थान देहरादून की टीम द्वारा किया जाएगा। बात अगर पिछली गणना की करें तो साल 2017 के अनुसार, अरावली के पहाड़ी क्षेत्र में सबसे अधिक गीदड़ और लकड़बग्घा है।
इसके अलावा वन्य जीवों की संख्या...
गीदड़ 166, तेंदुआ 31, सेहली 91, नेवला 50, जंगली बिल्ली 26, भेड़िया,लोमड़ी 4, लंगूर की प्रजाति 2, लकड़बग्घा 126
अरावली के अलावा दमदमा, मानेसर, कासन, नैनवाल, बाड़गुर्जर, भोंडसी, बंधववाड़ी, मांगर, कोटा, खंडेला, शिकोहपुर, रायसीना और घाटा आदि जगहों पर भी वन्यजीव देखने को मिल रहे है।
असल में, इन इलाकों पर लोगों की भीड़ होने से वन्य जीव डर जाते हैं। ऐसे में वे डर के मारे कही छुप जाते हैं। मगर कोरोना के कारण इन इलाकों पर लोगों का आना-जाना कम होने से वन्य जीवों की संख्या बढ़ती नजर आ रही है।