वो जमाना गया जब लड़कियों को लड़कों से कम आंका जाता था। आज के युग में लड़का और लड़की में कोई फर्क नहीं है और ये बात कई बार साबित भी हो चुकी है। आज हम आपको ऐसी लड़की की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने ना सिर्फ इतिहास रचा है बल्कि बाकी लड़कियों के लिए मिसाल भी पैदा की है। इस बहादुर लड़की ने अपने हौंसले से चुनौतियों की दीवार को गिराकर अपनी मंजिल खुद तय की।
लोहे के भारी चक्के को घुमाना आसान नहीं
हम बात कर रहे हैं 29 साल की मिर्ज़ा सलमा बेग की जो 9 सालों से महिला गेटमैन का काम संभाल रही है। वह लखनऊ मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर के मल्हौर रेलवे क्रॉसिंग पर गेटमैन के तौर पर क्रॉसिंग बंद करने और खोलेन का काम करती हैं। उन्होंने 2013 में भारत की पहली गेटवूमन के तौर अपना काम संभाला था। 19 वर्ष की छोटी उम्र से ही वह लोहे के भारी चक्के को घुमाकर फाटक बंद और खोल रही है।
सलमा की हिम्मत को नहीं तोड़ सका कोई
इन 9 सालों में सलमा ने कई ताने भी सुने, लेकिन उनके हिम्मत को कोई तोड़ नहीं सका। वह बताती हैं कि जब नौकरी में आई तो स्टेशन पर लोग कहते थे कि ये लड़की एक दिन भी नौकरी नहीं कर पाएगी, आज उसने उन सभी की साेच को गलत साबित कर दिया है। दरअसल इस बहादुर लड़की के पितारेलवे में गेटमैन की नौकरी करते थे। बीमार होने की वजह से उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी, घर के हालात को देखते हुए सलमा ने गेटवुमन बनने की बात कही।
लोग मारते थे ताने
महिलाओं के लिए आदर्श सलमा बताती है कि मुझे रेलवे क्रॉसिंग पर पहली बार काम करने के लिए भेजा गया तब पापा भी साथ में थे। उन्होंने मुझे सिखाया कि तकनीक के साथ कैसे कदमताल किया जाता है। किस काम को कैसे किया जाता है। रेल विभाग के लोग हिजाब पहने एक युवा लड़की को गेटमैन के लिए ट्रेनिंग करते देखते तो आपस में बात करते थे कि चार दिन में ही ये नौकरी छोड़ देगी। इस दौरान सलमा के पिता ने उनका साथ नहीं छोड़ा वह तब तक अपनी बेटी के साथ आते रहे जब तक उसने अच्छे से काम नहीं सीख लिया।
अब लोगों की बदल रही है सोच
सलमा कहती हैं कि अब लोगों की सोच उनको लेकर बदल रही है। रेलवे का पूरा स्टाफ उनकी इज्जत करता है। इतना ही नहीं कुछ लोग तो उनके साथ सेल्फी भी लेकर जाते हैं। उन्होंने बताया कि शादी के उनके पति नहीं चाहते थे कि वह यह काम करे, लेकिन सलमा ने उन्हें बताया कि वह यह नौकरी नहीं छोड़ेंगी। अब उनके पति भी इस बात को समझते हैं और उनका सपोर्ट करते हैं। वह परिवार के साथ- साथ अपनी नौकरी की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही हैं।