दुनिया के सबसे बड़े और सबसे भव्य निजी आवासों में से एक लक्ष्मी विलास पैलेस वड़ोदरा के मध्य में स्थित है और इसे बनने में 12 साल लगे थे तथा ठीक 143 साल पहले 12 जनवरी को इस शाही इमारत की आधारशिला रखी गई थी। यह एक भव्य दरबार हॉल सहित लगभग 170 कमरों वाला महल है। यह शानदार लॉन से घिरा वास्तुशिल्प का एक नायाब रत्न है जहां सुंदर संगमरमर के कलश और इतालवी मूर्ति कला से युक्त हरे-भरे बगीचे हैं।
कहा जाता है कि आकार में यह लंदन के बकिंघम पैलेस से चार गुना बड़ा है। बड़ौदा (अब वड़ोदरा) के तत्कालीन महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय के शासनकाल (1875-1939) के दौरान शाही निवास के रूप में निर्मित इस भवन को मेजर चार्ल्स मांट द्वारा डिजाइन किया गया था। यह बड़े पैमाने पर भारतीय-सारासेनिक शैली में है, जिसमें कुछ अन्य वास्तुशिल्प तत्व भी शामिल हैं।
महल के विशाल परिसर में मुख्य जमीन के स्तर से नीचे एक बगीचा और एक भव्य गोल्फ कोर्स भी है। इसमें हाल में ‘‘21 गन सल्यूट कॉनकॉर डी'एलीगेंस'' के 10वें संस्करण का आयोजन हुआ। इस दौरान इसके परिसर में 200 से अधिक दुर्लभ ‘विंटेज' कारों का प्रदर्शन किया गया। इसमें कुछ शानदार मशीन भी थीं जो मूल रूप से बड़ौदा राज्य की थीं। भव्य आयोजन ने बड़ौदा के पूर्व शाही परिवार के सदस्यों को भावुक कर दिया जो वर्तमान में प्रसिद्ध महल में रहते हैं। इसे वे विनम्रता से अपना ‘‘घर'' कहते हैं।
राजपरिवार की रानी कही जाने वाली राधिकाराजे गायकवाड़ ने कहा- ‘‘भले ही यह मेरा घर है, लेकिन मुझे लगता है कि लक्ष्मी विलास पैलेस बड़ौदा शहर के दिल में एक गहना है, और भारत में बेहतरीन महलों में से एक है। हम इसे सही स्थिति में बनाए रखने के लिए बहुत मेहनत करते हैं और यह एक बहुत ही भव्य संरचना है तथा अब भी इसके चारों ओर प्राचीन हरियाली है।'
इस पैलेस में फिल्म प्रेम रोग, दिल,ग्रैंड मस्ती और सरदार गब्बर सिंह इत्यादि फिल्मों की शूटिंग हुई है. यह पैलेस टूरिस्टों के लिए सुबह 9:30 से शाम 5:00 बजे तक खुलता है और सोमवार के दिन बंद रहता है। यहां आपको ना सिर्फ राजसी ठाठ और शाही घरानों की रॉयल लाइफस्टाइल की एक झलक मिलेगी बल्कि आपको देश के कल्चर और हेरिटेज की भी झलक मिलेगी।