डिप्रेशन भारत में एक बहुत बड़ी समस्या बन गया है। हाल ही में रिसर्च में यह बात सामने आई है कि भारत में करीबन 14% लोग डिप्रेशन के शिकार है। यह एक ऐसी बीमारी है जो मन को प्रभावित करती है इसके कारण व्यक्ति निराश, उदास, थकान और चिंता में रहने लगता है। कई बार तो ज्यादा तनाव के चलते व्यक्ति के मन में आत्महत्या के विचार आने लगते हैं। हाल ही में हुए शोध में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। छोटे स्तर पर हुए इस अध्ययन में पता चला है कि एंटीडिप्रेसेंट दवाओं के उपयोग की तुलना में नियमित रुप से दौड़ने से डिप्रेशन के लक्षण कम हो सकते हैं।
रिसर्च में शामिल किए गए इतने रोगी
इस रिसर्च में डिप्रेशन से जूझ रहे 141 रोगियों को शामिल किया गया। इस रिसर्च में शामिल रोगियों को एंटीडिप्रेसेंट दवाईयों और रनिंग थेरेपी के बीच में एक चीज चुनने के लिए कहा गया। यह रिसर्च यूरोपियन कॉलेज ऑफ न्यूरोसाइकोफार्मोकोलॉजी ने 6 अक्टूबर को पेश की थी। 141 लोगों में से 45 से एंटीडिप्रेसेंट्स दवाईयां ली वहीं बाकी बचे 96 लोगों ने रनिंग थेरेपी का विकल्प चुना 16 हफ्तों तक नियमित रुप से दौड़ने का बाकी बचे लोगों ने फैसला लिया।
दौड़ने से कम हुआ डिप्रेशन
अंत में दोनों समूहों ने कुल 44 फीसदी लोगों ने अवसाद से राहत पाने की बात कबूर की लेकिन दौड़ने वाले समूह ने खुद को शारीरिक रुप से भी फिट बताया। दौड़ने वाले लोगों ने डिप्रेशन के लक्षण कम होने के साथ-साथ वजन, कमर की चर्बी, हाई ब्लड प्रेशर और दिल संबंधी कार्यों के सुधार का भी अनुभव किया हालांकि जिन्होंने एंटीडिप्रेसेंट दवाईयों का सेवन उन्हें ऐसे कोई लक्षण महसूस नहीं हुए। शोधकर्ता ने यह भी कहा कि रिसर्च शुरु होने से पहले एंटीडिप्रेसेंट समूह में डिप्रेशन का स्तर थोड़ा ज्यादा था। इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने में इस तरह की शारीरिक समस्याओं पर भी गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। ऐसे में इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि जिस ग्रूप ने दौड़ने का विकल्प चुना उन्हें ज्यादा फायदा मिला है।
पहले भी रिसर्च में सामने आए हैं नतीजे
पिछले कई सारे अध्ययनों में भी यह बात साबित हो चुकी है कि अवसादग्रस्तता और चिंता जैसे लक्षणों को दूर करने में एंटीडिप्रेसेंट्स दवाईयों के मुकाबले व्यायाम ज्यादा प्रभावी हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी मानसिक स्वास्थ्य के सुधार के लिए दवाईयों के मुकाबले व्यायाम को ही बेहतर माना था।