स्पेन के रिसर्चस के द्वारा किए गए एक शोध में बहुत ही चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं। शोध में कहा गया कि सड़कों पर बढ़ता हुआ शोर शराबा बच्चों के बौद्धिक विकास को प्रभावित करता है। इसके अलावा उनकी यादाशत और ध्यान एकाग्र करने की क्षमता को भी बहुत ही प्रभावित करता है। सड़क यातायात से निकलने वाला ध्वनि प्रदूषण स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों के लिए बहुत ही हानिकारक है। वायु प्रदूषण के बाद का शोर स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाला दूसरा सबसे बड़ा पर्यावरणीय कारक है। यह बच्चे में दिल के दौरे और मधुमेह जैसी खतरनाक बीमारी का खतरा पैदा कर सकता है।
'बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल' हेल्थ ने की रिसर्च
यह रिसर्च बार्सिलाना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ के द्वारा की गई है। शोधकर्ताओं ने स्पेन के 38 स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 2700 बच्चों पर अध्ययन किया। इन बच्चों की उम्र 7-10 वर्ष के बीच में थी। शोधकर्ताओं ने बताया कि- यातायात के कारण होने वाले शोर के कारण बच्चों के बौद्धिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है। इसके आकलन के लिए शोधकर्ताओं ने याददाश्त और ध्यान एकाग्रित करने की क्षमता पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया है। उनके अनुसार, मनुष्य में यह दोनों क्षमताएं किशोरवस्था के दौरान ही तेजी से विकसित होती हैं और बच्चों के सीखने और पढ़ने के लिए बहुत ही आवश्यक होती हैं।
स्कूल के अंदर कक्षा और खेल के मैदान में मापा गया शोर
शोधकर्ताओं ने बताया कि- अध्ययन के दौरान करीब 12 महीनों तक बच्चों की पूरी निगरानी की गई थी। अध्ययन का उद्देश्य न सिर्फ उनकी वर्किंग मेमोरी का ध्यान एकाग्र करनी की क्षमता का आकलन करना था, बल्कि समय के साथ उसके विकास को भी समझना था। इस अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने स्कूल के अंदर कक्षा में, खेल के मैदान और स्कूल के सामने होने वाले शोर को मापा था।
नुकसानदायक हो सकता है शोर-शराबा
इस अध्ययन की प्रमुख लेखिका मारिया फोस्टर ने बताया कि- कक्षा के अंदर भारी शोर औसत डेसिबल स्तर की तुलना में बच्चों की न्यूरोडेवलेपमेंट के लिए बहुत ही नुकसानदायक हो सकता है। मारिया ने बताया कि- बच्चे का बचपन बहुत ही नाजुक होता है, इस दौरान बाहरी जोश जैसे शोर-शराबा किशोरअवस्था में होने वाले बच्चों के पहले ज्ञान संबंधी विकास की तीव्र प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है, जो बच्चे के लिए बहुत ही नुकसानदायक हो सकता है।
क्या-क्या नुकसान होते हैं बच्चे को?
बच्चे की स्मरणशक्ति होती है प्रभावित
शोधकर्ताओं के अनुसार, उदाहरण के तौर पर दूसरे बच्चों में जो बच्चे 5 डेसीबल ज्यादा ट्रैफिक शोर के संपर्क में आए थे, उनकी स्मरणशक्ति में होने वाला विकास सामान्य बच्चों से 23.5 फीसद धीमा था। ऐसे ही अतिरिक्त 5 डेसीबल की वृद्धि ने बच्चों की ध्यान एकाग्र करने की क्षमता में होने वाले विकास को करीब 4.8 फीसदी धीमा कर दिया था।
शोर-शराबे के उतार-चढ़ाव बच्चे के लिए नुकसानदेह
स्कूल के बाहर भारी शोर और शोर के कम ज्यादा होने के कारण दोनों ही परिस्थितियों में बच्चे की बौद्धिक क्षमता पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ा। जिसके कारण बच्चों के प्रदर्शन पर भी गहरा असर देखा गया।
बच्चे की ध्यान एकाग्र करने की क्षमता पर असर
साल भर चले इस अध्ययन में यह पाया गया कि जिन स्कूलों के पास यातायात संबंधी शोर-शराबा बहुत ही ज्यादा था, वहां पर बच्चों की वर्किंग मेमोरी और ध्यान एकाग्र करने की क्षमता का विकास बहुत ही धीमा था।