नारी डेस्क: सिंदूर का भारतीय संस्कृति में बड़ा महत्व है। सिंदूर से जुड़ी बातें तो हमने बहुत सुनी है लेकिन क्या आप जानते हैं इसका पौधा भी होता है। इसे अंग्रेजी में kumkum Tree या kamila Tree कहते हैं। इसमें लाल कलर के फल उगते हैं, इसकी मदद से ही पाउडर और लिक्विड फॉर्म में सिंदूर या लिपस्टिक बनाई जाती है। आइए जानती सिंदूर बनाने की पूरी प्रक्रिया के बारे में
सिंदूर का पौधा
सिंदूर बनाने के लिए आमतौर पर कुसुंबा (Safflower) या कुमकुम (Vermilion) के पौधे का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, कुछ जगहों पर पलाश के पौधे से भी सिंदूर तैयार किया जाता है। पलाश को अंग्रेज़ी में Flame of the Forest कहा जाता है। कुसुंबा और पलाश पौधे की पत्तियां और बीज में प्राकृतिक रंग होता है, जिसका उपयोग सिंदूर बनाने में किया जाता है।
यह कहाँ उगाया जाता है?
सिंदूर के लिए उपयोग किए जाने वाले पौधे, जैसे कि पलाश और कुसुंबा, भारत के विभिन्न हिस्सों में उगाए जाते हैं। पलाश के पेड़ उत्तर और मध्य भारत के जंगलों और खेतों में उगाए जाते हैं, जबकि कुसुंबा राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे क्षेत्रों में उगाया जाता है।
सिंदूर बनने की प्रक्रिया
कुसुंबा के पौधे के फूल और बीज से नारंगी और लाल रंग का प्राकृतिक पाउडर प्राप्त किया जाता है। इसे सूखा कर और पिसा कर पाउडर बनाया जाता है, जिसे सिंदूर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। वहीं पलाश के फूलों को सुखाया जाता है और फिर उनका रंग निकाला जाता है। इस प्राकृतिक रंग को सिंदूर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें प्राकृतिक लाल रंग होता है, जो सिंदूर का मुख्य गुण होता है। कमीला के पेड़ से निकले वाले संदूर का प्रयोग उच्च श्रेणी की लिपस्टिक बनाने में किया जाता है, इससे दवाएं भी बनती है।
सिंदूर बनाने की आधुनिक प्रक्रिया
पहले सिंदूर को प्राकृतिक तत्वों से ही बनाया जाता था, लेकिन आजकल बाज़ार में मिलने वाला सिंदूर अधिकतर सिंथेटिक (रासायनिक) होता है। इसमें सीसा (lead) और पारा (mercury) जैसे तत्व हो सकते हैं, इसलिए इसे चुनते समय सावधानी बरतनी चाहिए। आजकल लोग प्राकृतिक सिंदूर की ओर फिर से रुख कर रहे हैं, जो कुमकुम, हल्दी, और अन्य हर्बल उत्पादों से बनाया जाता है। ये प्राकृतिक सिंदूर त्वचा के लिए सुरक्षित होते हैं और धार्मिक समारोहों में भी उपयोग किए जाते हैं।
घर में इस तरह उगाएं सिंदूर का पौधा
अगर आप सिंदूर का पौधा घर में लगाना चाहते हैं, तो सही बीज का चुनाव करना बहुत ज़रूरी है। सिंदूर के पौधे और फल के विकास के लिए आप जैविक खाद का ही इस्तेमाल करें। इसके अलावा गाय, भैंस आदि जानवर के गोबर को भी खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। लगभग दस से बारह महीने बाद पौधे में फल होने लगता है जिसे आप पकने तक छोड़ दें। जब फल लाल रंग का हो जाए तो आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
सिंदूर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
सिंदूर का हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व है। इसे विवाहित महिलाओं द्वारा मांग में लगाया जाता है, और यह वैवाहिक जीवन का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक अनुष्ठानों और त्योहारों में भी सिंदूर का इस्तेमाल होता है, जैसे कि दुर्गा पूजा में देवी दुर्गा को सिंदूर चढ़ाया जाता है।इस प्रकार, सिंदूर का पौधा प्रकृति से प्राप्त एक महत्वपूर्ण तत्व है, और इसे पारंपरिक रूप से प्राकृतिक तरीकों से बनाया जा सकता है।