भारत सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के उपलक्ष्य में 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रुप में मनाने का फैसला किया है। इस साल नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती है। नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था। ये दिन नेताजी की अदम्य भावना और राष्ट्र के लिए निस्वार्थ सेवा को सम्मानित करने और याद करने के लिए मनाया जाता है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रुप में मनाने की घोषण की गई। आईए जानें इसका इतिहास....
बता दें कि वर्तमान समय में पश्चिम बंगाल राज्य में तृणमूल कांग्रेस की पार्टी की सरकार चल रही है, जिसकी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं। इसी पार्टी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्म जयंती को देशनायक दिवस के तौर पर मनाने की घोषण की है, वही पीएम नरेंद्र मोदी जी ने 23 जनवरी साल 2021 में नेताजी की जन्म जयंती पर अपने बयान में इस बात को कहा है कि साल 2022 से इस दिन को पराक्रम दिवस के तहत ही सेलिब्रेट किया जाएगा।
पराक्रम दिवस कैसे मनाया जाता है?
बता दें कि जिस प्रकार पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्म जयंती मनाई जाती थी, उसी प्रकार आगे भी इनकी जन्म जयंती मनाई जाएगी। बस फर्क ये रहेगा कि अब उनकी जन्म जयंती को पराक्रम दिवस का नाम दे दिया गया है इसलिए अब जब कोई नेता, नेताजी सुभाष की जन्म जयंती पर बधाई देगा तो वह पराक्रम दिवस का इस्तेमाल करेगा। इस दिन विद्दालय में विद्यार्थियों द्वारा नाटक का आयोजन किया है, साथ ही कॉलेज और यूनिवर्सिटी में नेताजी सुभाष जी की जिंदगी के ऊपर आधारित लेक्चर भी आयोजित होते हैं, जिसमें विद्दार्थी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के चाहने वाले मीटिंग का आयोजन भी करते हैं और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के द्वारा देश हित में किए गए कामों को लोगों को बताते हैं और उनकी जिंदगी से प्रेरणा लेते हैं।
नेताजी के बारे में 5 दिलचस्प बातें
1. सुभाष चंद्र बोस हमेशा साथ जिन चीजों को रखते थे, उसमें भगवत गीता भी थी। जिसे वो रोज पढ़ते थे, इससे उन्हें शांति और शक्ति मिलती थी। उसी के अनुरूप वो काम करना पसंद करते थे।
2. वो रोज रात में देर में सोने वाले शख्स थे। आमतौर पर वो रात में रोज 02-03 बजे तक बिस्तर पर जाते थे। लेकिन जब सोकर उठते थे तो उनके मु्ंह पर तेज और आभा नजर आती थी। सोते समय वो दिनभर के अपने कामों की आध्यात्मिक समीक्षा भी जरूर करते।
3. आजाद हिंद फौज की स्थापना के दौरान नेताजी के बारे में लोग कहते थे कि वो आम सैनिकों के साथ बैठकर वैसा ही साधारण भोजन करते थे। अगर कभी कोई खास व्यक्ति उनसे मिलने आता था, तभी उनके साथ अलग भोजन करते थे।
4. वो चाय और कॉफी के बहुत शौकीन थे। जब वो कोलकाता में अपने घर में होते थे तो दिन में 20-25 कप चाय के कप की चुस्कियां ले लेते थे। हालांकि वो सिगरेट भी पीते थे। कभी कभी तनाव के क्षणों में लोगों ने उन्हें चैन स्मोकिंग करते देखा।
5. सुभाष चंद्र बोस मां काली के भक्त थे। ये भी कहा जाता है कि वह तंत्र साधना की शक्ति मानते थे। जब म्यांमार की मांडला जेल में थे, तब उन्होंने तंत्र मंत्र से संबंधित कई किताबें भी मंगाकर पढ़ीं थीं।