आज कल कंप्यूटर और मशीन इंसानों की जरूरत बन चुके हैं। इसमें सबसे अहम रोल है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का, जिसकी बदौलत हमारी स्मार्ट टेक्नोलॉजी अपग्रेड होती जा रही है। वैसे तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को इंसानों ने बनाया है लेकिन इंसानी दिमाग के मुकाबले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कई गुना ज्यादा तेजी से निर्णय ले सकता है। अब AI के गॉडफादर ने अपने कदम पीछे हटा लिए हैं, ऐसे में दुनिया की चिंता काफी बढ़ गई है।
'एआई के गॉडफादर' कहे जाने वाले जेफ्री हिंटन ने जेफ्री हिंटन ने पिछले सप्ताह गूगल में अपनी भूमिका छोड़ दी है। उन्होंने इस्तीफे का ऐलान करते हुए बताया कि लगभग एक दशक तक AI के लिए गूगल के साथ काम करने के बाद अब उन्हें इस तकनीक को लेकर चिंता होने लगी है। आई आधारित कई प्रोडक्ट को विकसित करने में हिंटन की अग्रणी भूमिका रही है। उन्होंने 2012 में अपने दो साथियों के साथ मिलकर इस तकनीक पर काम करना शुरु किया था।
जेफ्री हिंटन ने अपने 2 छात्रों (इल्या सुतस्केवर और एलेक्स कृशेव्स्की) के साथ मिलकर न्यूरल नेटवर्क बनाया था। हिंटन की कंपनी का अधिग्रहण करने के लिए गूगल ने लगभग 3,599 अरब रुपये खर्च किए थे। जेफ्री हिंटन ने ने 'गूगल ब्रेन' की स्थापना की जो AI के डेवलपमेंट पर काम करने वाली एक स्पेशल टीम थी ।2012 में जिस टेक्नोलॉजी की खोज जेफ्री हिंटन ने की थी उसी के आधार पर आज चैट जीपीटी और अन्य AI टूल विकसित किए गए हैं. यही वजह है कि उन्हें AI का गॉडफादर कहा जाता है.।
जेफ्री हिंटन को कई पुरुस्कारों से भी सम्मानित किया गया है, लेकिन सवाल यह है कि आखिर उन्होंने अपने पद से इस्तीफा क्यों दिया? जेफ्री हिंटन का कहना है कि AI की खोज करना उनकी सबसे बड़ी भूल थी। उन्होंने चेताया कि एआई के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को रोकना असंभव हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप इतनी नकली इमेज और टेक्स्ट वाली दुनिया होगी कि ये बता पाना भी मुश्किल हो जाएगा कि क्या सच है और क्या झूठ। ये स्थिति बहुत भयानक हो सकती है।