कर्नाटक के एक छोटे से शहर हुबली से संबंध रखने वाली श्रुति हेगड़े ने ‘मिस यूनिवर्सल पटीट' का खिताब जीतकर भारत का नाम रोशन किया है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि आप एक अस्पताल में 36 घंटे काम करें और फिर अगले दिन चुस्त-दुरुस्त होकर ब्यूटी क्वीन प्रतियोगिता में भाग लेने पहुंच जाएं। हेगड़े ने कुछ ऐसा ही किया। पेशे से चिकित्सक हेगड़े 2018 से ही इसके लिए तैयारी कर रही थीं और उनकी यह मेहनत रंग लाई।
एक महीने से कुछ समय पहले 10 जून को श्रुति हेगड़े भारत की पहली ‘मिस यूनिवर्सल पटीट' बनीं। साल 2009 से दिए जा रहा यह खिताब निर्धारित मानकों से छोटे कद की महिलाओं के लिए विश्व सुंदरी बनने का एक मौका देता है। ‘मिस यूनिवर्सल पटीट' प्रतियोगिता हर साल अमेरिका के फ्लोरिडा में स्थित टेम्पा में आयोजित की जाती है। हेगड़े ने अपनी जीत पर कहा- “यह आसान तो बिल्कुल नहीं था। मुझे एहसास हुआ कि एक चिकित्सक होने के नाते आपके पास उससे ज्यादा काम होता है, जितना मैंने शुरुआत में सोचा था।
वह कहती हैं कि- हां, कई बार तो काम बहुत ज्यादा हो जाता है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं किसी एक पर दूसरे को तरजीह दूंगी। इसके बजाय मैं दोनों के बीच तालमेल बनाना चाहूंगी।” हेगड़े ने कहा कि जब उन्होंने प्रतियोगिता में भाग लेने का फैसला किया तो जीतने के बारे में ज्यादा नहीं सोचा था। उन्होंने कहा- “मैं हमेशा से कुछ नया करने की सोचती रही हूं। और मुझे लगता है कि यह (सुंदरी बनना) हर छोटे शहर की लड़की का सपना होगा। लिहाजा, मैंने सोचा कि एक बार इसमें हाथ आजमाना चाहिए। मुझसे ज्यादा मेरी मां को लगता है कि मुझे वही करना चाहिए जो मैं चाहती हूं और इससे मुझे काफी मदद मिली।”
इस तरह हेगड़े ने 2018 में मिस धारवाड़ प्रतियोगिता के लिए खुद को तैयार किया, लेकिन जब वह खिताब जीत गईं तो वह इसे लेकर और गंभीर हो गईं। डर्मेटोलॉजी में एमडी की पढ़ाई कर रहीं और बेंगलुरु से लगभग 70 किलोमीटर दूर स्थित तुमकुरु के एक अस्पताल में इंटर्न के तौर पर काम करने वाली हेगड़े ने कहा- “प्रतियोगिता के दौरान, मुझे एहसास हुआ कि मैं जीवन के कई सबक भी सीख रही हूं - ऐसे सबक जो मुझे एक बेहतर इंसान बनने और किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए अच्छी तरह तैयार होने में मदद करेंगे। इसलिए, मैंने अपना सब कुछ इसमें लगाने का फैसला किया, और देखना चाहा कि यह मुझे कहां ले जाता है।”