हर साल वैशाख महीने की पड़ने वाली मेष संक्राति के दिन बैसाखी का त्योहार मनाया जाता है। लोहड़ी के जैसे बैसाखी का त्योहार भी पंजाबी समुदाय के लोग धूमधाम के साथ मनाते हैं। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेश में रहने वाले सिख-समुदाय के लोगों में भी इस त्योहार का विशेष उत्साह देखने को मिलता है। लेकिन इस बार बैसाखी कब है और इसे कैसे मनाया जाता है आज आपको इस बारे में बताएंगे। आइए जानते हैं।
अलग-अलग तरह से मनाया जाता है पर्व
बैसाखी के त्योहार का सिख धर्म में बहुत ही खास महत्व बताया गया है। इस दिन को बंगाल में पोइला बोइसाख, बिहार में सत्तुआन, तमिलनाडु में पुथांडु, केरल में विशु और असम में बिहू के नाम से मनाया जाता है। यह पर्व रबी फसल के पकने का प्रतीक भी होता है। इस दिन लोग भगवान को फसल पकने के लिए धन्यवाद देते हैं और अपने घरों में खास पकवान भी बनाते हैं।
13 अप्रैल को मनाई जाएगी बैसाखी
इस बार बैसाखी 13 अप्रैल को मनाई जाएगी। इसे पंजाब में मुख्य तौर पर मनाया जाता है। इस त्योहार को लोग बहुत ही धूमधाम और जश्न के साथ मनाते हैं। इस दिन गुरुद्वारों में कीर्तन और प्रार्थना के लिए भी जाते हैं। साथ ही इस दिन कुछ लोग सड़कों पर जुलूस भी निकालते हैं। इसके अलावा गुरद्वारे इस दौरान बहुत ही अच्छे से सजाए जाते हैं। माथा टेकने के बाद लोगों में कड़ा प्रसाद भी बांटा जाता है।
इस तरह मनाया जाता है पर्व
. बैसाखी भारत के अलावा अन्य हिस्सों में भी मनाई जाती है। दुनिया भर के सिखों और हिंदुओं के द्वारा बहुत उत्साह के साथ इस पर्व को मनाया जाता है।
. इस दिन की शुरुआत सिख लोग गुरुद्वारे में भजन, कीर्तन और प्रार्थना के साथ करते हैं।
. बैसाखी वाले दिन सड़कों पर जुलूस, गायन और नृत्य भी किया जाता है।
. इसके अलावा अपनी एक्साइटमेंट दिखाते हुए पुरुष इस दिन भांगड़ा और महिलाएं गिद्दा करती हुई पंजाबी के पांरपरिक लोक नृत्य को दर्शाती हैं।
. लोग अपने घरों में इस दिन सरसों का साग और मक्की की रोटी के अलावा अन्य टेस्टी पकवान भी बनाते हैं।
स्नान दान करना होता है शुभ
बैसाखी वाले दिन किसी नदी या फिर तीर्थ पर जाकर स्नान और दान करना बहुत शुभ माना जाता है। इसके अलावा इस दिन पैदा हुई नई फसल का अनाज किसी जरुरतमंद व्यक्ति को देना भी बहुत शुभ माना जाता है।