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मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान...जानिए आज के दिन क्यों लगाई जाती है आस्था की डुबकी ?

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 21 Jan, 2023 04:07 PM
मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान...जानिए आज के दिन क्यों लगाई जाती है आस्था की डुबकी ?

सनातन परंपरा में अमावस्या तिथि का बहुत ज्यादा महत्व है।  ज्योतिष के अनुसार शनिवार के दिन मौनी अमावस्या का संयोग 20 साल बाद बना है, ऐसे में इस दिन के मायने और बढ़ जाते हैं।  माघ मेला के तृतीय स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर शनिवार को 1.5 करोड़ लोगों ने गंगा और संगम में डुबकी लगाई। 

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माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मनुष्य को मौन रहना चाहिए और गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों, जलाशय अथवा कुंड में स्नान करना चाहिए। 

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20 साल बाद मौनी अमावस्या पर शनि अमावस्या का संयोग बना है. इससे पहले ऐसा संयोग 1 फरवरी 2003 को बना था। कहा जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और शिव दोनों की पूजा करने से मोक्ष प्राप्ति के मार्ग खुलते हैं.। जो व्‍यक्ति मौन रखकर इस व्रत को पूरा करता है तो उसे मुनि पद की प्राप्ति होती है। 

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति को तीन प्रकार के लाभ होते हैं। तन और मन निर्मल होता है, पाप​ मिटते हैं और ग्रह दोष भी शांत होते हैं। ऐसा माना जाता है कि प्रयागराज में मौनी अमावस्या के दिन गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम पर देवी-देवता वास करते हैं। संगम में स्नान से वे व्यक्तियों को कष्टों तथा पापों से मुक्ति देते हैं। संगम स्नान के बाद दान करने से धन वृद्धि का आशीष मिलता है।

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मौनी अमावस्या के खास मौके पर हैलीकॉप्टर से साधु-संतों और श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा की गई। इस दौरान साधु-संत ही नहीं बल्कि विदेशी सैलानियों को भी माघ मेला खूब भा रहा है।  विदेशी सैलानियों को कल्पवासियों और साधु-संतों की तरह त्रिवेणी में स्नान कर धार्मिक क्रियाओं का भी आनंद लेते देखा जा सकता है।

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कुछ सैलानी समूह में नजर आए और कुछ अकेले मेले का लुत्फ लेते हुए इधर उधर घूमते नजर आए। ये सैलानी भले ही माघ मेले में ‘‘ मौनी अमावस्या'' पर्व की महत्ता को भली भांति नहीं समझते हों लेकिन आनंद उठाने से बिल्कुल नहीं हिचक रहे हैं। वह संगम में नौका विहार का आनंद लेते हुए सेल्फी लेने से भी नहीं चूक रहे हैं। उनका आनंद सातवें आसमान पर है।

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 नौका पर सवार होकर पवित्र गंगा के जल को एक दूसरे पर फेंकते हुए आल्हादित नजर आते हैं। उनका कहना है कि पुस्तकों में पढ़ा है कि भारत विश्व की आत्मा कहलाता है और यहां की अध्यात्मिक ऊर्जा का कोई शानी नहीं है। देश को जीवनदायिनी शक्तियां इसी धरती से मिलती रही हैं। जिस तरह से सनातन धर्म अनादि कहा जाता है उसी प्रकार प्रयाग की महिमा का भी कोई आदि अंत नहीं है। यहां आकर इसकी महत्ता समझ में आ रही है। 

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मौनी अमावस्या पर साधु-महात्माओं का मस्त मौला अंदाज हर एक से जुदा होता है । इस साल मौनी अमावस्या शनिवार के दिन पड़ रही है, जिसके स्वामी स्वयं शनिदेव हैं। अमावस्या के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें और तामसिक चीजें जैसे शराब, मांस आदि से दूरी बना कर रखें। 
 

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