मां बनना जीवन का सबसे सुखद अनुभव , जिसका इंतजार हर महिला को होता है। गर्भावस्था के दौरान महिला को खुद के साथ गर्भ में पल रहे शिशु की सेहत का भी ध्यान रखना पड़ता है। ऐसे में होने वाली मां को सबसे ज्यादा इंतजार होता है बच्चे की पहली किक का। क्योंकि क्विकनिंग के दौरान वह गर्भ में पल रहे शिशु की हलचल को महसूस करती है। अमूमन हर बच्चा किक मारता है और अगर बच्चा किक ना मारे तो इसे किसी समस्या का संकेत माना जाता है।
बच्चे पेट में किक क्यों मारते हैं?
गर्भावस्था के दौरान, बच्चा धीरे-धीरे विकसित होता है और उसकी मांसपेशियां मजबूत होती हैं। किक मारना इस बात का संकेत है कि बच्चा स्वस्थ है और उसकी ग्रोथ सही तरीके से हो रही है। बच्चा मां के शरीर में होने वाली हलचलों और आवाज़ों पर प्रतिक्रिया कर सकता है। जैसे ही बच्चा आवाज़ या हलचल महसूस करता है, वह किक मारकर प्रतिक्रिया दे सकता है। गर्भ में बच्चा अपनी मांसपेशियों को इस्तेमाल करना और मूवमेंट करना सीखता है। किक मारना इसी मूवमेंट का हिस्सा है।
कब से महसूस होती है बच्चे की किक?
पहली बार मां को बच्चे की किक 16 से 25 सप्ताह के बीच महसूस हो सकती है। यह समय पहली गर्भावस्था में थोड़ा देर से हो सकता है (20-25 सप्ताह), जबकि दूसरी या तीसरी गर्भावस्था में जल्दी (16-18 सप्ताह) महसूस हो सकता है। शुरुआत में, किक हल्की हो सकती हैं और अनियमित हो सकती हैं, लेकिन समय के साथ ये अधिक स्पष्ट और नियमित हो जाती हैं। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, किक की ताकत और आवृत्ति बढ़ सकती है।
किक मारने से क्या मिलता है संकेत
बच्चे की किक मां के गर्भ में उसकी गतिविधि और विकास का संकेत देती है। अगर बच्चा नियमित रूप से किक कर रहा है, तो यह स्वस्थ होने का संकेत हो सकता है। किक मारने से मां और बच्चे के बीच एक संबंध बनता है। मां को यह महसूस होता है कि बच्चा उसके साथ संवाद कर रहा है।
इन बातों का रखना चाहिए ध्यान
गर्भावस्था के अंतिम तिमाही में, बच्चे की किक का पैटर्न थोड़ा स्थिर हो जाता है। अगर किक की संख्या अचानक से कम हो जाए या मां को कोई असामान्यता महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कुछ डॉक्टर तीसरी तिमाही में किक काउंट करने की सलाह देते हैं, जिससे मां बच्चे की गतिविधियों को ट्रैक कर सके और किसी भी असामान्य परिवर्तन को पहचान सके।