देश में इन दिनों हर जगह राम मंदिर की ही चर्चा चल रही है, जिसका प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगा। इस दौरान एक से बढ़कर नामचीन हस्तियां यहां पर अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगी। लेकिन क्या आपको इस बात का पता है कि इस मंदिर में किसके द्वारा बनाई मूर्ति स्थापित होने वाली है? आपको बता दें अरूण योगीराज के हाथों से बनाई हुई राम भगवान की मूर्ति की स्थापना होगी। जब से राम मंदिर बनने का काम शुरू हुआ है, तब से ही अरूण का नाम लगातार सुर्खियों में रहा है। ये बात तो अब तक सब को पता है कि राम मंदिर में स्थापित होने वाली भगवान राम की मूर्ति को ये ही स्वरूप दे रहे हैं, लेकिन बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि इन्होंने एमबीए की है। वो अच्छी- खासी जॉब भी कर रहे थे, लेकिन उनका मन हमेशा से मूर्तिकार बनने का था। इसके लिए उन्होंने जॉब भी छोड़ दी और आज वो एक सफल मूर्तिकार भी हैं, उनकी पपरी देश में डिमांड है। आइए आपको बताते हैं अरूण के सफर के बारे में...
कौन हैं अरुण योगीराज?
कर्नाटक के मैसूर में रहने वाले अरुण योगीराज ने एमबीए की पढ़ाई की है। वो अच्छी- खासी नौकरी कर रहे थे, लेकिन बाद में अपना पैशन फॉलो करने के लिए जॉब छोड़ दी। आज वो इतने फेमस हैं कि देश की सबसे प्रमुख मूर्ति बनाने के ऑर्डर मिल रहे हैं। पीएम मोदी उनकी इस कलाकारी को बेहद पसंद करने लगे हैं। यही कारण है कि अयोध्या में भी उनके हाथ की बनाई मूर्ति लगने जा रही हैं। उन्हें कई तरह के पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है।
केदारनाथ धाम में बनाई शंकराचार्य की मूर्ति आई थी पीएम मोदी को खूब पसंद
अरुण अपनी कलाकारी से बहुत पहले ही पीएम को impress कर चुके हैं। जी हां, केदारनाथ में गुरु शंकराचार्य की मूर्ति पीएम को खूब पसंद आई थी और उन्होंने इस मूर्ती की तारीफों में कसीदे पढ़े थे। ये पहला मौका था जब अरुण के बारे में लोगों ने चर्चा करने शुरु की थी। उस दिन के बाद से बस उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
18 मूर्तिकारों में पीएम को आया था अरुण का काम पसंद
शंकराचार्य की मूर्ति बनाने के लिए देश भर के 18 शिल्पकारों ने अलग-अलग मॉडल दिए थे। तमाम मूर्तियों के मॉडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास पहुंचे और पीएम मोदी ने बारीकी से अध्ययन करने के बाद शिल्पकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई शंकराचार्य की मूर्ति के मॉडल को सबसे बेहतर माना था। इसके बाद साल 2020 में अरुण योगीराज ने शंकराचार्य की मूर्ति को बनाने का काम शुरू किया। ये सच में बहुत ही भव्य और बेहद खूबसूरत मूर्ति है।
चार पीढ़ियों से अरुण का परिवार है इस पेशे में
अरुण का परिवार वैसे तो चार पीढ़ियों से ये ही काम रहा है, लेकिन आज तक किसी भी मूर्ति को इस तरह की पहचान नहीं मिली पाई थी। लेकिन जैसे ही केदारनाथ में अरुण योगीराज के हाथों से उकेरी गई मूर्ति की स्थापना हुई, वैसे ही अरुण योगीराज चर्चाओं में आ गए। शंकराचार्य का मूर्ति को बनाने में अरुण को लगभग 1 साल का समय लगा।130 टन की शीला में से शंकराचार्य की मूर्ति को बाहर निकल गया। इस मूर्ति का कुल वजन 35 टन और लंबाई 12 फीट है। मूर्ति को बनाने के लिए नारियल पानी का इस्तेमाल किया गया है। केदारनाथ में मूर्ति पहुंचाने के लिए वायु सेना के विशेष विमान चिनूक की मदद ली गई है। खास बात ये है कि जिस पत्थर की आदि गुरु शंकराचार्य की मूर्ति बनी है, उसी पत्थर की मूर्तियां अयोध्या में प्रभु श्रीराम की लगने जा रही हैं। इन मूर्तियों की खासियत यह है कि बारिश, तूफान में भी इन मूर्तियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।