नारी डेस्क: कल सावन माह का दूसरा सोमवार है, जो हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भक्त विशेष रूप से शिवलिंग पर जल चढ़ाकर और बेलपत्र अर्पित करके भगवान शिव की आराधना करते हैं। यह दिन विशेष पूजा और व्रत के साथ मनाया जाता है, जिसमें श्रद्धालु अपने घरों और मंदिरों में विशेष धार्मिक आयोजन भी करते हैं। सावन के सोमवारों की महत्वता और भक्ति भाव के साथ किए जाने वाले इस अवसर को लेकर भक्तों में विशेष उत्साह और श्रद्धा देखने को मिलती है।
दूसरा सावन सोमवार मुहूर्त और योग
- सावन के दूसरे सोमवार पर भरणी नक्षत्र प्रातः 10 बजकर 55 मिनट तक है, उसके बाद से कृत्तिका नक्षत्र है।
- शुभ योग की बात करें तो गण्ड योग सुबह से शाम 05 बजकर 55 मिनट तक है, इसके बाद वृद्धि योग प्रारंभ होगा।
- सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त प्रातः काल 04 बजकर 17 मिनट से 04 बजकर 59 मिनट तक है।
- अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 48 मिनट से बजे से 12 बजकर 42 तक है।
कैसे करें पूजन
इस बार सावन मास में पांच सोमवार होंगे। सावन मास के सोमवार पर अपनी मनोकामना पूर्ण हेतु आप भगवान शिव की 108 बेलपत्रों से भगवान की पूजा करें। भगवान शिव पर एक-एक बेलपत्र अर्पित करते हुए " ॐ साम्ब सदा शिवाय नमः " का लगातार जाप करें। इससे आपकी मनोकामना पूर्ण होंगी और जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होंगी।
सावन मास का महत्व
पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन श्रावण मास में हुआ था। उस समय समुद्र मंथन से 14 प्रकार के तत्व 14 रत्न निकले । इनमें से 13 तत्वों व रत्नों देवताओं व दानवों ने आपस में वितरण कर लिया। उन तत्वों में से एक तत्व हलाहल विष भी निकला। वह हलाहल विष भगवान शंकर को दिया गया। हलाहल विष भगवान शंकर ने अपने कंठ (गले) में धारण किया। उससे भगवान शंकर का गला नीला पड़ गया, इससे भगवान शंकर नीलकंठ कहलाए। परंतु उस विष की गर्मी इतनी अधिक थी की देवताओं को गर्मी शांत करने का कोई उपाय नहीं सूझा। इस पर चंद्रदेव को शिव शंकर ने मस्तक पर धारण किया था तथा भगवान शंकर के मस्तक पर ही गंगा अवतरित किया फर्म भी ताप कम नहीं हुआ। तब जाकर सहस्त्र जलधाराओं से भगवान शंकर का अभिषेक किया गया।