प्रेग्नेंसी के दौरान हर महिला चाहती है कि उसका बच्चा हेल्दी रहे। नौ महीने बिना किसी परेशानी के गुजर जाएं और बच्चा स्वस्थ पैदा हो। जबकि गर्भावस्था में कुछ संक्रमणों का खतरा बहुत ही ज्यादा रहता है। इस दौरान कई संक्रमण महिलाओं को मुख्य रुप से प्रभावित करते हैं। ऐसे ही कई संक्रमण मां के अलावा होने वाले बच्चे के लिए भी खतरनाक हो सकते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान यदि आपके शरीर में पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडी नहीं बन पाती तो आपको संक्रमण का खतरा हो सकता है। आज आपको ऐसे ही कुछ संक्रमण के बारे में बताएंगे जो इस दौरान महिलाओं को प्रभावित करते हैं। तो चलिए जानते हैं उनके बारे में...
कब फैलता है संक्रमण?
जब आपका शरीर संक्रमण से प्रभावित होता है तो बैक्टीरिया आपके ऊतकों पर आक्रमण करते हैं और विषाक्त पदार्थ पैदा करते हैं। कुछ सामान्य एजेंट जैसे वायरस, विरोइड्स, प्रियन, बैक्टीरिया, राउंडवॉर्म, पिन-वर्म, टिक्स, माइट्स, पिस्सू, जूं, कवक, दाद, टैपवार्म जैसे वायरस आपके शरीर को प्रभावित कर सकते हैं। इस दौरान यदि इन संक्रमणों का प्रभाव बढ़ जाए तो आपके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है।
हेपेटाइटिस बी
गर्भावस्था के दौरान हेपेटाइटिस बी होने वाला एक बहुत ही आम संक्रमण है, यह लीवर को प्रभावित करता है। इसी के कारण गर्भ में पल रहे बच्चे को पीलिया हो सकता है। इस संक्रमण से मृत्यु दर में भी वृद्धि होती है। किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। गर्भधारण करने के पहले आप इसका टीका अवश्य लगवाएं।
हेपेटाइटिस सी
आप इस संक्रमण का पता लगा सकते हैं, क्योंकि इसका पहला लक्षण मतली है। जबकि मतली और उल्टी गर्भावस्था के प्रारंभिक लक्षम है। इसलिए भी इस लक्षम का आकलन करना मुश्किल हो जाता है। आप चिकित्सिक या दंत चिकित्सक के माध्यम से पता कर सकते हैं। यदि आप इस संक्रमण से प्रभावित हैं तो बच्चे के प्रभावित होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
यूरिनरी ट्रैक्ट
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन त्वचा, योनी या फिर मलाशय से बैक्टीरिया के कारण होता है। यह मूत्रमार्ग के जरिए आपके शरीर में प्रवेश करता है। यह बैक्टीरिया मूत्राश्य में रहते हैं बढ़ते जाते हैं, जिसके कारण महिलाओं को कई समस्याएं हो सकती हैं। साथ ही ये बैक्टीरिया किडनी तक भी चले जाते हैं, जिससे किडनी भी गंभीर संक्रमण से प्रभावित हो सकती है।
यौन संचारित रोग
इस दौरान यौन संचारित रोग भी काफी अधिक फैलते हैं। इस संक्रमण को क्लैमाइडिया कहते हैं। इसमें एसटीडी नाम के हार्मोन का कोई लक्षण नहीं पाया जाता है। इसका समय-समय पर परिक्षण करवाना भी बहुत जरुरी है। ताकि आप किसी भी बीमारी से बच सकें।
चिकन पॉक्स
गर्भावस्था के दौरान चिकन पॉक्स एक ऐसा संक्रमण है जो मां और बच्चे दोनों के लिए नुकासनदायक हो सकता है। वैसे 95% महिलाओं को चिक्न पॉक्स नहीं होते, क्योंकि वह पहले से इस बीमारी से जुझ चुकी होती हैं। परंतु यदि किसी महिला को यह पहले नहीं हुआ तो होने की संभावना बढ़ जाती है। होने वाले बच्चे के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है। बच्चे के शारीरिक विकास में नुकसान हो सकता है।
कैसे करें बचाव?
. गर्भधारण करने से पहले ही अपने आप को संक्रमणों के प्रति मजबूत कर लें।
. लक्षणों पर ध्यान दें और नियमित रुप से जांच करवाते रहें।
. यदि आप संक्रमित है तो अपने साथ के साथ यौन संपर्क से भी बचें।
. इस बात का ध्यान रखें कि डॉक्टर संक्रमित व्यक्ति पर इस्तेमाल किए हुए उपकरणों या फिर सीरिंज का उपयोग तो नहीं कर रहा।
. यदि आपकी इम्यूनिटी कमजोर है तो आप सतर्क रहें। खाद्य पदार्थों को उबालकर खाएं, साफ पानी पिएं, जानवरों को छूने के बाद अच्छे से हाथ धोएं।
. यदि आप यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन से पीड़ित हैं तो ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। इसके अलावा यदि संक्रमण दो दिनों से ज्यादा रहता है तो डॉक्टर से संपर्क करें।