
नारी डेस्क: 1 फरवरी 2025 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज संसद में बजट 2025 पेश करेंगी। इस बजट से ऑटो इंडस्ट्री को बड़ी उम्मीदें हैं, खासकर इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों से जुड़ी नई नीतियों को लेकर। सरकार देश में ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए बड़े कदम उठा सकती है।
EV इंडस्ट्री को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए जरूरी लिथियम आयन बैटरियों का आयात चीन से किया जाता है, जिससे देश का विदेशी मुद्रा खर्च बढ़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2023 में भारत ने 18,000 करोड़ रुपये और 2024 में 24,000 करोड़ रुपये की बैटरियां आयात कीं।
सरकार इस निर्भरता को कम करने के लिए नई पॉलिसी ला सकती है, जिससे घरेलू स्तर पर बैटरी निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। इससे न केवल देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि सस्टेनेबिलिटी भी सुनिश्चित की जा सकेगी।
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में होगा सुधार
सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ाने के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की दिशा में भी काम कर रही है। इस बजट में नए पब्लिक चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना और चार्जिंग कनेक्टर्स के स्टैंडर्डाइजेशन की घोषणा हो सकती है। इससे ईवी मालिकों के लिए चार्जिंग सुविधाएं सुलभ और किफायती हो सकेंगी।
ईवी और हाइब्रिड वाहनों के ग्राहकों को राहत की उम्मीद
सरकार ईवी और हाइब्रिड वाहनों को अपनाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रही है। उम्मीद की जा रही है कि इस बजट में इन वाहनों की खरीद पर इनकम टैक्स में छूट दी जा सकती है। साथ ही, बैटरियों की रीसाइक्लिंग पर भी विशेष जोर दिया जाएगा, जिससे ईवी की सस्टेनेबिलिटी को बढ़ाया जा सके।
जीएसटी में सुधार की संभावना
ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए जीएसटी भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इंडस्ट्री की मांग है कि इलेक्ट्रिक वाहनों पर इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को संतुलित किया जाए और जीएसटी काउंसिल से रिफंड प्रक्रिया को आसान बनाया जाए। ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए हाइब्रिड वाहनों पर भी जीएसटी दरों में कटौती की उम्मीद की जा रही है।
क्या होगा असर?
अगर सरकार इन नीतियों को लागू करती है, तो इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों की बिक्री में तेजी आएगी। इससे न केवल ऑटो सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि भारत में प्रदूषण नियंत्रण और स्वच्छ ऊर्जा के लक्ष्यों को भी मजबूती मिलेगी। अब सभी की नजरें बजट 2025 पर टिकी हैं, जिससे आने वाले वर्षों में भारत की ऑटो इंडस्ट्री का भविष्य तय होगा।